यह सुनकर शायद आप चौंक रहे होंगे कि सिर्फ 51 रुपए के लिए कोई इंसान भला 5 साल तक केस कैसे लड़ सकता है लेकिन कहते हैं ना कि सच की हमेशा जीत होती है भले ही देर से सही। ऐसा ही कुछ हुआ है बैंगलुरु के एक शख्‍स के साथ जिसने सिर्फ 51 रुपयों के लिए एसबीआई के खिलाफ उपभोक्‍ता अदालत में 5 साल तक केस लड़ा और अब जीतने पर बैंक उन्‍हें 9 हजार रुपए हर्जाना देने वाली है। आखिर क्‍या थ्‍ज्ञा 51 रुपए का चक्‍कर आइए जानें...

51 रुपए के लिए फाइल किए गए केस में बैंक को देना होगा बड़ा हर्जाना

बैंक द्वारा गलत तरीके से अकाउंट से पैसे काटने और खराब सर्विस को लेकर 3 साल पहले बैंगलुरु के Syed Ishrathulla Hussaini ने उपभोक्ता फोरम में जो मुकदमा SBI यानि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर लगाया था, उसका फैसला आ गया है। बैंगलुरु की जिला Urban Consumer Disputes Redressal Forum ने इस मामले में SBI को आदेश दिया है कि बैंक कंज्यूमर के खाते में 51 रुपए वापसी यानि रिवर्स एंट्री करे। इसके साथ साथ खराब सर्विस के कारण हुई परेशानी के एवज में 5 हजार रुपए और मुकदमेबाजी के चक्कर में खर्च के लिए 4 हजार रुपए उपभोक्ता को प्रदान करे।

 

क्या था यह पेचीदा मामला

बैंगलुरु के केएचबी रोड पर रहने वाले Syed Ishrathulla Hussaini एसबीआई के पुराने कस्टमर हैं। साल 2014 में 23 सितंबर को उन्होंने अपने बैंक अकाउंट के चेक द्वारा 20 हजार रुपए टि्वंकल पब्लिक स्कूल के खाते में ट्रांसफर किए, लेकिन पूरा दिन बीत गया, लेकिन स्कूल के खाते में पैसे नहीं पहुंचे। इसके 3 दिन बाद स्कूल वालों ने हुसैनी को फोन करके पैसे न पहुंचने की जानकारी। यह सुनकर हुसैनी को काफी शर्मिंदगी हुई। हुसैनी ने इसके बाद 29 सितंबर को बैंक से इस बारे में पूछा, तो उन्हें पता चला कि संबंधित कर्मचारी छुट्टी पर है। इसके बाद हुसैनी ने 30 सितंबर को अपनी फंसी हुई पेमेंट को लेकर बैंक को ईमेल भेजी, लेकिन उसका भी बैंक की ओर से कोई जवाब उन्हें नहीं मिला। इसके बाद हुसैनी ने 2 अक्टूबर को बैंक को फिर से एक मेल भेजी, जिसके जवाब में बैंक ने बताया कि 1 अक्टूबर को 20 हजार रुपए स्कूल के खाते में ट्रांसफर हो चुके हैं। उस मेल में बैंक ने इस देरी का कोई कारण भी नहीं बताया और न ही बैंक को अपनी खराब सर्विस के लिए कोई पश्चाताप था।

 

 

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बैंक ने जबरदस्ती की सर्विस के लिए अकाउंट से काट लिए 51 रुपए

25 मई 2015 को हुसैनी के SBI अकाउंट से अचानक 51 रुपए काट लिए गए। जब हुसैनी ने इसका कारण जानने के लिए बैंक से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि बैंक ने उनकी नई चेकबुक उनके घर के पते पर कोरियर से भेजी थी। घर उस वक्त बंद था, जिसके कारण कोरियर पर्सन ने वापस लौटना पड़ा। हुसैनी ने बताया कि उन्होंने चेकबुक घर भेजने का ऑप्शन ही नहीं चुना था और उन्होनें बैंक ब्रांच पर ही जाकर अपनी चेकबुक रिसीव की थी, ऐसे में कोरियर चार्ज के नाम पर 51 रुपए काटने का कोई लॉजिक नहीं बनता।

 

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बैंक की खराब सर्विसेज का सिलसिला यहीं नही थमा

बैंक से जुड़ी दोनों घटनाओं के बाद भी हुसैन सब्र किए हुए बैठे थे, लेकिन जब 10 जुलाई 2015 को हुसैनी अपने खाते से 40 हजार रुपए निकालने के लिए बैंक गए। वहां काफी भीड़ थी, तो उनसे इंतजार करने को कहा गया। हालांकि जब हुसैनी ने देखा कि बैंक में ट्रांसेक्शन के लिए चार काउंटर बने हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ दो काउंटर्स पर ही काम हो रहा था। इस पर जब हुसैनी ने बैंक अधिकारियों से इसका कारण जानना चाहा, तो बैंक अधिकारियों ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। बैंक अधिकारियों द्वारा ऐसे व्यवहार के बाद हुसैनी ने 23 नवंबर 2015 को बैंक के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस कर दिया। जिसका नतीजा अब आ चुका है। हुसैनी की जीत पर फोरम ने बैंक को आदेश दिया है कि 9 हजार रुपए हर्जाने के रूप में हुसैनी को प्रदान करे।

 

हुसैनी की इस जीत से ऐसे तमाम लोगों को प्रेरणा मिल सकती है, जो किसी भी सरकारी विभाग की लापरवाही के कारण परेशानियां झेल चुके हों।

Posted By: Chandramohan Mishra