यह सुनने में भी अजीब लगता है कि दुनिया में अभी तक एक देश ऐसा भी था जहां महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार नहीं हासिल था। यह नियम बदलने जा रहा है। आखिरकार सऊदी अरब महिलाओं को यह अधिकार देने के लिए सहमत हो गया है। इस भेदभावपरक नियम के खिलाफ सबसे पहले सऊदी अरब की नागरिक मनाल अल शरीफ ने आवाज उठाई थी।

पेशे से आईटी कंसलटेंट व महिला अधिकार कार्यकर्ता मनाल ने जून 2011 में वह काम किया जिसकी सऊदी अरब में कल्पना करना भी मुश्किल माना जा सकता है। उन्होंने न सिर्फ इस भेदभावपरक कानून को तोड़ने का साहस किया बल्कि उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी कर दिया।

 

17 जून 2011 को उन्होंने महिलाओं के कार चलाने पर पाबंदी होने के बावजूद जानबूझकर कार चलाकर इस नियम का उल्लंघन किया। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी मित्र को इसका वीडियो बनाने के लिए कहा। जिसे बाद में फेसबुक व यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड कर दिया गया। वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया।


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मनाल को नियम तोड़ने की सजा भी भुगतनी पड़ी। उन्हें नौ दिनों तक जेल में रहना पड़ा। जहां से वह सशर्त जमानत के बाद ही बाहर आ सकीं। यह पहला मौका नहीं था जब महिलाओं ने इस नियम को चुनौती दी। इसके पहले भी ऐसा हो चुका था। बहरहाल सोशल मीडिया की ताकत ने मनाल अल शरीफ को सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दिए जाने के अभियान का चेहरा बना दिया। बाद में उन्हें टाइम मैगजीन ने दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में जगह दी।


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Posted By: Chandramohan Mishra