RANCHI : क्यूं बना दिया नाजुक इतना अपनी जुल्फों की छांव देकर अब दिल झुलस रहा तेरी यादों की धूप में... ये किसी शायर के नहीं बल्कि रिम्स के मेडिकोज के दिलों के जज्बात हैं. रिम्स सिनर्जी के मस्ती भरे दिनों के बीच मेडिकोज अपनी फीलिंग्स को कुछ इस अंदाज में बयां कर रहे हैं. संजीदगी से मरीजों का इलाज करनेवाले मेडिकोज ने थर्सडे को न सिर्फ कैटवॉक किया बल्कि अपने बीते दिनों को याद कर दिल का हाल सुनाया.

वो प्यार अनकहा रह गया
रिम्स सिनर्जी की मस्ती में अपने बीते दिनों को याद करते हुए डॉ अभिषेक खो जाते हैं। कहते हैं, मुझे भी दसवीं में प्यार की बीमारी लगी थी। लेकिन मेरा प्यार अनकहा-अनसुना रह गया था। जब तक मैं उससे प्यार का इजहार कर पाता, उसकी शादी हो गई। खैर बीते पल याद आते हैं तो खुशनुमा एहसास होता है।

ये लव गुरु हैं
डॉ अभिषेक जब अपने दिल का दर्द बयां करते हैं, तो उनके साथ बैठे मेडिकोज को अपने कलीग डॉ गोविंद की खासियत याद आती है। डॉ जीवेश कहते हैं कि रिम्स कैंपस में जब भी किसी लड़के को किसी लड़की को प्रपोज करने का आइडिया लेना होता है, तो वे लव गुरु डॉ गोविंद के पास जाते हैं। इनकी खासियत ये है कि ये महज 20 दिनों के अंदर लड़की को पटाने का गुर बताते हैं। इनकी खासियत ये है कि ये फीमेल साइकोलॉजी का भी अध्ययन करते हैं।

लड़के इसके पीछे-पीछे जाते थे
अपने एक साथी की खासियत बताते हुए डॉ पूनम बताती हंै कि जब उनकी एक साथी मिस  सिनर्जी बनी थी, तो लड़के इसके पीछे-पीछे बाइक से इसके घर तक चले जाते थे। क्लास में लड़के इसे लाइन मारा करते थे और कई दीवाने तो आहें भर कर रहे जाते थे। वहीं अपनी प्रेम कहानी बताते हुए डॉ पूनम कहती हैं कि कॉलेज में मुझे प्यार का एहसास हुआ था, लेकिन मैं उसका नाम नहीं बताऊंगी। वहीं डॉ सोनाली के क्रश को शेयर करते हुए डॉ जयश्री बताती हैं कि इनको बैच के टॉपर से प्यार है., वे इसकी बहुत केयर करते हैं। हाल तो यह है कि जब समोसे में चटनी घट जाती है, तो वे चटनी लेकर आते हैं। अपने प्यार पर डॉ जयश्री थोड़ी डिप्लोमेटिक हो जाती है और कहती हैं कि अभी तक मेरे सपनों का राजकुमार नहीं आया। डॉ प्रशांत सिंह जिसे पसंद करते हैं, उसके लिए उन्होंने इतनी सी खुशी इतना सा नशा है, सांग डेडिकेट किया है। डॉ प्रवीण की खासियत बताते हुए उनके दोस्तों ने कहा कि इन्हें तो हमलोग फार्माकोलॉजी के एचओडी कहकर बुलाते हैं। फार्माकोलॉजी में इन्होंने अपने आपको इतना डूबा दिया है कि पीएमसीएच की लड़कियां भी फोन पर इनसे सवालों के आंसर पूछती हैं। इनकी काबिलियत के सब फैन हैं।

बैच के कवि हैं
डॉ अभिषेक की खासियत बयां करते हुए डॉ प्रवीण कहते हैं कि ये हमारे बैच के कवि हैं। सर्वगुणसंपन्न नहीं, पर बहुगुणसंपन्न हैं। बैडमिंटन भी अच्छा खेलते हैं और कैरम में दो साल चैंपियन रहे हैं। यह सुनते-सुनते डॉ गोविंद में भी कवि होने का अहसास जग जाता है और वे एक कविता की चंद पंक्तियां सुनाते हैं- शब्द ऊर्जा हैं चिरजीवी हैं, चिरकाल तक गरजेंगे, मेरे शब्द बूंद बन बरसेंगे।

Posted By: Inextlive