- आधे-अधूरे जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के कारण स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़ा मेरठ

-जेएनएनयूआरएम का काम पूरा न होने पर शहर को हुआ 10 अंकों का नुकसान

Meerut: स्मार्ट सिटी की दौड़ में मेरठ को सबसे बड़ा खामियाजा जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट को पूरा न करने का उठाना पड़ रहा है। जेएनएनयूआरएम के ड्रिकिंग व सीवरेज प्रोजेक्ट्स में बरती गई लापरवाही के कारण स्मार्ट सिटी के नंबर गेम में अन्य कई शहर मेरठ से काफी आगे निकल गए। मेरठ को केवल 75 नंबरों पर ही संतोष करना पड़ा। यही कारण रहा कि आज तक मेरठ स्मार्ट सिटी के खिताब के लिए छटपटा रहा है।

स्मार्ट सिटी के लिए नंबर गेम

केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए 100 शहर चुने हैं। इनमें कानपुर भी शामिल है। पहले फेज में 20 स्मार्ट सिटी चुनी जानी हैं। इनके चयन के लिए नंबर गेम (प्वाइंट्स) महत्वपूर्ण हैं। चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में यूपी के 13 शहरों को स्मार्ट सिटी की दावेदारी के लिए चुना गया। इसमें मेरठ को आखिरी पायदान पर 75 नंबर मिले थे।

आधे-अधूरे काम

स्मार्ट सिटी के नंबर गेम जेएनएनयूआरएम के प्रोजेक्ट कम्प्लीट होने पर 10 अंक रखे गए थे। पर शहर में जेएनएनयूआरएम का एक भी काम पूरा नहीं हो सका। जबकि सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम की तो शुरुआत भी नहीं हो सकी। इसके अलावा पेयजल आपूर्ति, सीवरेज के प्रोजेक्ट हैं आदि प्रोजेक्ट भी अभी तक अधर में लटके पड़े हैं। लापरवाही का आलम यह है कि नगर निगम शहर में आज तक एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक स्थापित नहीं कर सका। जबकि कूड़े को डिस्पॉज ऑफ करने की मुख्य जिम्मेदारी नगर निगम की है। प्रोजेक्ट के काम अधूरे होने की वजह से 10 अंकों का नुकसान हुआ है।

मेरठ होता सबसे आगे

जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के अंतर्गत मेरठ के लिए 341.302 करोड़ का बजट रखा गया था। प्रोजेक्ट पूरे होते तो नगर निगम को कम से कम 10 अतिरिक्त नंबर मिल जाते। जिससे मेरठ के नंबर 75 से बढ़कर 85 हो जाते और अन्य शहरों के मुकाबले नंबर गेम में मेरठ आगे निकल जाता।

स्मार्ट सिटी के मापदंड

- 2011 की पॉपुलेशन के आधार पर बने टायलेट्स

-ऑनलाइन कम्प्लेन, गे्रवियांस सिस्टम

-मंथली ई-मैगजीन

-इलेक्ट्रानिक्स रूप से सक्षम परियोजनावार म्यूनिसिपल बजट खर्च की सूचना

- सर्विस सप्लाई में लेट होने पर दंडित करना

-पिछले तीन सालों के दौरान आन्तरिक रूप से सृजित राजस्व, सैलरी का पेमेंट, सीएजी, शुल्क, अन्य आंतरिक राजस्व स्त्रोतों के हिस्से का परसेंटेज, कर राजस्व

- वाटर सप्लाई की स्थापना, सुपरविजन लागत का परसेंटेज

-फाइनेंशियल ईयर 2014-15 के दौरान प्रमुख कार्यों के लिए उपयोग आंतरिक राजस्व के अंशदान का परसेंटेज

-शहर स्तरीय जेएनएनयूआरएम सुधार और जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत मार्च 2012 तक स्वीकृत परियोजनाओं की पूर्णता

जेएनएनयूआरएम के सभी काम लगभग पूर्ण कर लिए गए हैं। गंगा जल परियोजना के अधर में लटकने से स्कीम पर ग्रहण लगा हुआ है।

एसके जैन, अधिशासी अभियंता जल निगम, एवं नोडल अफसर

जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट के अंतर्गत सभी काम जल निगम की ओर से कराए गए हैं। निगम की ओर से तो सारा फंड जल निगम को ट्रांसफर कर दिया गया था। कुछ काम अभी पेंडिंग हैं।

-संजीव रामचंद्रन, जीएम जलकल नगर निगम

Posted By: Inextlive