एक और 'दशरथ मांझी' जिसने तोड़ डाले 7 पहाड़
एक और 'माउंटेनमैन'
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में रहने वाले 84 वर्षीय राजाराम भापकर को भले ही लोग न जानते हों। लेकिन उनके हौसले और जज्बे ने एक ऐसी कहानी लिखी जो उन्हें मांझी के बराबर ला खड़ा करती है। अहमदनगर जिले के गुंडेगांव में टीचर की नौकरी करने वाले राजाराम ने बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें ऐसा एग्जॉम्पल भी दिया जिसे वहां के लोग ताउम्र याद रखेंगे। राजाराम ने पूरे इलाके में 40 किमी लंबी सड़क बनाने के लिए 7 पहाड़ काट डाले, जिसमें उनको तकरीबन 57 साल लग गए।
साधारण इंसान बना महान
राजाराम अपने इलाके में गुरुजी के नाम से जाने जाते हैं। वह सादा जीवन और उच्च विचार पर विश्वास रखते हैं। सफेद कमीज, पैजामा और गांधी ठोपी पहनने वाले राजाराम ने अपने मजूबत इरादों से पहाड़ों को भी हिला दिया। राजाराम बताते हैं कि, आजादी के समय गुंडेगांव से बगल के गांव जाने के लिए पगडंडी तक नहीं थी। लोगों को खेतों के बीच और पहाड़ों पर चढ़कर जाना पड़ता था। 1957 से 1991 तक स्कूलों में टीचर की नौकरी करने वाले राजाराम ने जब प्रशासन और सरकार से पहाड़ काटकर 700 मीटर की सड़क बनाने की अपील की, तो किसी ने उनकी एक न सुनी।
फिर खुद संभाली कमान
राजाराम बताते हैं कि, जब रास्ता बनाने को लेकर सरकारी अमले की तरफ से निराशा हाथ लगी। तो उन्होंने इसकी जिम्मेदारी खुद उठाई। राजाराम ने आसपास के गांवों से जोड़ने वाली 7 सड़कों को 57 साल की कड़ी मेहनत करते हुए बनाया। सबसे पहले भापकर ने कोलेगांव से डेउलगांव होकर जाने वाली 29 किमी के रास्ते का छोटा विकल्प तैयार करने के लिए पहाड़ काटकर 10 किमी लंबा रास्ता बना दिया। हालांकि उस समय यह कच्चा रास्ता था लेकिन अब वहां बड़े-बड़े वाहन भी आसानी से निकल जाते हैं।