महानंदा एक्सप्रेस से लापता कैप्टन फैजाबाद में मिले, सेना ने दिए जांच के आदेश
झाग निकलने लगा
कैप्टन शिखरदीप के मिलने से उनके परिजनों में खुशी लहर दौड़ गई है। परिजनों के मुताबिक 6 फरवरी की रात तक उनसे बातचीत हुई, लेकिन जब ट्रेन दिल्ली पहुंची तो वह ट्रेन में नहीं थे। कैप्टन का मोबाइल भी बंद बता रहा था। जबकि उनका सारा सामान सीट पर ही था। इस मामले में पूछतांछ के दौरान बेडरोल कर्मी का कहना था कि कैप्टन को अंतिम बार कानपुर में देखा गया था। भारतीय सुरक्षा अकादमी की परीक्षा देकर दो साल पूर्व सेना में बहाल हुए शिखरदीप से फिलहाल पूछतांछ जारी है। शिखरदीप का कहना है कि ट्रेन में मुंह धोने के बाद उनके मुंह से झाग निकलने लगा था। इसके बाद जब वह होश में आए तो खुद को एक कमरे में बंद पाया था। वहां से वह खिड़की तोड़कर भाग निकले हैं। इसके बाद लोगों से पूछते हुए वह कोतवाली नगर पहुंचे। वहीं सेना ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
शव बरामद बरामद
वहीं मूल रूप से पूर्णिया जिला के महेन्द्रपुर गांव के निवासी हैं और फिलहाल उनका परिवार कटिहार के ललियाही में रह रहा है। वहीं कल इससे पहले उस समय सनसनी फैल गई जब वाराणसी स्थित जैतपुर थाने से रेल पुलिस को एक युवक का शव बरामद होने की सूचना मिली। जैतपुर थाने से रेल पुलिस अधीक्षक को शव की फोटो भी भेजी गई। रेल पुलिस ने लापता कैप्टन के पिता कर्नल अनंत से तुरंत संपर्क साधा। उनके निकटतम परिजन को फोटो दिखाई। टी-शर्ट व चेहरे के आधार पर परिजनों ने शव शिखर का होने की आशंका जताई थी। वहीं रेल पुलिस शिखर के पिता के साथ शव की शिनाख्त के लिए राजधानी एक्सप्रेस से रवाना हुई, लेकिन मामले में ट्विस्ट उस वक्त आ गया जब जैतपुर पुलिस ने खुद ही स्वीकार किया कि उसके द्वारा भेजी गई शव की तस्वीर और शिखर दीप की तस्वीर अलग-अलग थी।