इंग्लैंड के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने वाले इस भारतीय खिलाड़ी ने अचानक लिया संन्यास
13 जुलाई को संन्यास लेने की यह है खास वजहनई दिल्ली (पीटीआई)। भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से आज संन्यास ले लिया। कैफ ने रिटायरमेंट उस दिन लिया जब उन्हें क्रिकेट में पहचान मिली थी। कैफ को आज से 16 साल पहले इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्रॉफी में भारत को जीत दिलाने के लिए याद किया जाता है। 37 वर्षीय कैफ ने अपने टि्वटर पेज पर एक इमोशनल मैसेज के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा। दाएं हाथ के मिडिल ऑर्डर बैट्समैन और शानदार फील्डर रहे कैफ ने करीब 12 साल पहले अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला था। कैफ कहते हैं, '13 जुलाई 2002...यह वो दिन है जो मेरे जेहन में हमेशा ताजा रहेगा। क्रिकेट को अलविदा कहने का इससे बेहतर दिन शायद दूसरा नहीं होता।'
भारत की तरफ से 13 टेस्ट और 125 वनडे मैच खेलने वाल मोहम्मद कैफ को उस पारी के लिए हमेशा याद किया जाएगा। तब लॉर्ड्स में खेले गए नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 87 रन की मैचजिताऊ पारी खेली थी। कानपुर के ग्रीन पार्क से अपने करियर की शुरुआत करने वाले कैफ ने अपने सभी कारनामों को जिक्र किया। दरअसल इस खिलाड़ी ने टि्वटर पर दो पन्नों का मैसेज लिखा जिसमें उन्होंने अपनी पूरी जर्नी के बारे में बताया। आपको बता दें कैफ 2003 वर्ल्ड कप खेलने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं। यही नहीं साल 2000 में जब भारत की अंडर-19 टीम ने वर्ल्डकप जीता तब कैफ और युवराज उस टीम का हिस्सा थे। युवराज और कैफ का इंटरनेशनल करियर लगभग साथ-साथ शुरु हुआ था। भारत के सबसे फुर्तीले खिलाड़ियों में गिने जाने वाले कैफ का वनडे औसत 32 का है, जिसमें सिर्फ दो शतक शामिल हैं। कैफ ज्यादातर 6वें या 7वें नंबर पर आकर बल्लेबाजी करते थे जब सिर्फ कुछ ही गेंदें खेलने को मिलती हैं। टेस्ट करियर की बात करें तो 13 मैचों इस बल्लेबाज ने 32.01 की औसत से 2753 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से दो शतक और 17 अर्धशतक निकले।
मोहम्मद कैफ 13 जुलाई को खेले गए उस मैच को याद करते हुए लिखते हैं, 'वीरू, सचिन पाजी, दादा और राहुल तब पवेलियन लौट चुके थे। उस वक्त 326 रन का लक्ष्य असंभव सा लग रहा था। यहां तक कि मेरे परिवार के सभी सदस्य मैच बंद करके टीवी पर फिल्म देखने लगे। यहां तक कि सभी को लगने लगा कि भारत यह मैच हार जाएगा। मगर जब मैं और युवी क्रीज पर गए तो हमसे किसी ने हारने की बात नहीं कही। हम जीतने के इरादे से मैदान में उतरे। 121 रन की साझेदारी कर हमने वो मैच जीता। यह 1983 वर्ल्डकप में लॉर्ड्स में भारत को मिली जीत के 19 साल बाद आई थी। ऐसे में जीत का जश्न भी साधारण नहीं था।'
उत्तर प्रदेश के लिये रणजी ट्राफी जीतने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ के लिये खेला था। इंटरनेशनल क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल पाने का मलाल कैफ को आज भी है। इस बारे में वह लिखते हैं, 'अगर वे इंसान नहीं होते तो उन्हें दुख नहीं होता। मेरी भी इच्छा थी मैं ज्यादा समय तक भारत के लिए खेलता। मैंने कुछ टेस्ट मैचों में अच्छा प्रदर्शन भी किया था। खैर मैं अब एक ऐसा सिस्टम चाहता हूं जहां एक 25 साल के युवा खिलाड़ी को जवाब मिल सके कि उसे अब टेस्ट मैच में क्यों नहीं खिलाया जा सकता जबकि उसने पिछली कैरेबियाई सीरीज में नाबाद 148 रन बनाए थे।' हालांकि अपने दिल की बात सामने रखने के बाद कैफ को इस बात की खुशी है कि वह कभी भारतीय क्रिकेटर थे।