Meerut : सीबीएसई बोर्ड ने अब स्टूडेंटस को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का बीड़ा उठाया है . इस पहल के साथ ही स्टूडेंटस अब भारत के कल्चर वैल्यू और हिस्ट्री से रूबरू होंगे. ताकि स्टूडेंट्स अपनी संस्कृति को न भूलें. इस उद्देश्य से सीबीएसई ने इस साल सिलेबस में कुछ चेंजस किए हैं. इस बार 11वीं और 12वीं के सिलेबस में ‘नॉलेज ट्रेडिशन एंड प्रैक्टिस ऑफ इंडिया’ सब्जेक्ट को शामिल किया गया है. जिसमें पंचतंत्र हितोपदेश जैसी कहानियों के माध्यम से बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाएगा.


ये है पंचतंत्रइंडियन कल्चर की नीति कथाओं में पंचतंत्र का प्रमुख स्थान है। पांच अध्याय में लिखे जाने के कारण इस पुस्तक का नाम पंचतंत्र रखा गया। पुस्तक के लेखक पंडित विष्णु शर्मा ने जानवरों को पात्र बनाकर शिक्षाप्रद बातें लिखी हैं। उन्होंने क्लासेज के द्वारा मनोविज्ञान, व्यवहारिकता, और एडमिनिस्ट्रेशन के सिद्धांतों से लोगों को परिचित कराया गया है।ये है हितोपदेशइसी तरह नारायण पंडित द्वारा लिखी गई असाधारण कहानियों का संग्रह है हितोपदेश। जिसमें भारतीय जन-मानस और परिवेश से प्रभावित उपदेशक कहानियां हैं। पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियां इसकी खास विशेषता है। हर कहानी का अंत किसी न किसी शिक्षाप्रद बात से ही होता है।नाटकों का होगा मंचन


नैतिकता का पाठ सिखाने के लक्ष्य से जो बदलाव किए गए हैं। उसके तहत पांच अलग-अलग एक्टिविटी भी होंगी। जिसमें पुरातात्विक जगहों का भ्रमण कराया जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों में नाटकों के द्वारा भी बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में बताया जाएगा। इन एक्टिविटी को कराने की जिम्मेदारी स्कूलों की होगी।बौद्धिक ज्ञान बढ़ाने का प्रयास

आज के बच्चों में बौद्धिक ज्ञान की काफी कमी नजर आती है। इसकी वजह से उनमें कई तहर की गलत धारणाएं भी बढ़ती जा रही हैं। सीबीएसई का मानना है कि स्टूडेंट्स को मानवीय मूल्यों के अलावा देश की समृद्ध परंपराओं और प्रथाओं की जानकारी होनी जरूरी है। यही वजह है कि बौद्धिक ज्ञान पहुंचाने के लिए ही सिलेबस में बदलाव किया गया है।कल्चर से जोडऩे वाली एक्टिविटी- क्लासेज में नाटकों का मंचन कर  सत्य, अहिंसा, क्षमा की भावना का महत्व स्टूडेंट्स को बताया जाएगा।- बच्चे धार्मिक ग्रंथों से कहानियों का चयन कर इसे मंचन, पेंटिंग या अन्य माध्यमों से प्रस्तुत करेंगे।- जातक कथाओं की प्रस्तुति देने के बाद स्टूडेंट्स बताएंगे कि कहानी से क्या शिक्षा मिली?- अलग-अलग सब्जेक्ट पर स्टूडेंट्स क्लास में डिबेट करेंगे।'वेस्टर्न कल्चर की चमक दमक ही नैतिक पतन का कारण बन गया है। ऐसे में सीबीएसई की ये पहल बहुत ही उचित कदम है। पंचतंत्र, हितोपदेश और पुरातन ग्रंथों की कहानियों में जीवन के लिए संदेश मिलते हैं। सिलेबस में शामिल हो जाने से अब बच्चे अपनी संस्कृति से जुडेंगे। अपने पूर्वजों के बारे में जान सकेंगे। तेजी से बदलते समाज को देखते हुए इस तरह की योजना की जरूरत थी.'रिटा सिरोही, प्रिंसीपल, ऋषभ एकेडमी

Posted By: Inextlive