-लोहे की रॉड से पीटा, पेट में गोली मारी

-रात भर घर में दुबका रहा सहमा मासूम

-लूट की नीयत से घुसे से थे बदमाश

-कुछ महीने पहले ही बेची थी जमीन

ALLAHABAD: सोरांव के मलाक हरहर के मजरा पंचगढ़वा में लूट के इरादे से एक घर में घुसे दो बदमाशों ने किसान और उसकी पत्नी को लोहे की रॉड से बेरहमी से पीटा। मगर, किसान जख्मी होने के बावजूद उनसे संघर्ष करता रहा। इस पर बदमाशों उसे गोली मार दी। वहीं सर की चोट से उसकी पत्नी की भी जान चली गई। दंपती की मौत के बाद बदमाशों ने पूरे घर को खंगाल डाला और जो कुछ मिला उसे लेकर भाग गए। जब यह पूरा घटनाक्रम दंपती के सात साल के मासूम बेटे ने बयां किया तो सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। दरअसल, वारदात के दौरान आवाज सुनकर पास में सो रहा बालक जाग गया था। मगर, आंखों के सामने मां-बाप का बहता खून देख वह दहशत में आकर कोने में छिप गया था। सुबह उसने किसी तरह हिम्मत कर दरवाजा खोला तो लोगों को घटना की जानकारी हुई।

मुंह ढककर घुसे बदमाश

बदमाश रात में एक से दो बजे के बीच सोरांव के मलाक हरहर के किसान नीलेश कुमार यादव के घर में घुसे थे। नीलेश (38) आंगन से लगे पक्के कमरे में पत्नी मोना (28), बेटे मयंक (7), अंश (5)व सौरभ (1) के साथ सो रहा था। छत रास्ते घुसे दो बदमाशों ने नीलेश को दबोच लिया और मुंह दबाकर पीटने लगे। इस दौरान मोना की नींद भी खुल गई। आवाजें सुनकर मयंक भी जाग गया और डरकर मारे कमरे के कोने में छिप गया। नीलेश को दोनों बदमाशों ने लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा। बचाने में मोना भी जख्मी हो गई। नीलेश काबू में नहीं आया तो एक बदमाश ने तमंचा निकालकर गोली उसके पेट में मार दी। गोली लगते ही नीलेश गिरकर तड़पने लगा। इसी बीच बदमाशों ने धारदार हथियार व रॉड से मोना पर कई वार किए। मोना के बेसुध होने के बाद बदमाश लूटपाट कर छत के रास्ते ही भाग निकले। हालांकि, बदमाश क्या-क्या ले गए इसकी जानकारी नहीं हो सकी है।

मयंक ने खोला दरवाजा

मयंक दहशत के मारे सारी रात घर में ही दुबका रहा। सुबह रोशनी होने पर वह कमरे से बाहर निकला। उसने किसी तरह दरवाजा खोला और बाहर लोगों का हाथ पकड़कर रोका। मयंक इस कदर दहशत में था कि वह कुछ बोल नहीं पाया। वह ग्रामीणों को खींचकर घर के भीतर ले आया। अंदर का मंजर देखकर कांप उठे। नीलेश और मोना के खून से लथपथ शव के पास अंश व सौरभ बिलख रहे थे। तुरंत ही पुलिस को खबर दी। कुछ ही देर में सोरांव थाने की पुलिस, फोरेंसिक टीम व डॉग स्क्वॉड मौके पर पहुंच गए। कुछ देर बाद सामान्य होने पर मयंक ने ही बताया कि बदमाश दो थे और दोनों ने मुंह को ढक रखा था। उसने पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार पुलिस के सामने रखा। बदमाशों के बारे में पुलिस को कोई खास सुराग नहीं मिल सका है। धूमनगंज के मनोहरपुर में रहने वाले नीलेश के साले राजेश यादव व सुनील भी आठ बजे गांव पहुंच गए। आशंका है कि बदमाश आसपास के ही हो सकते हैं। वह जमीन को बेचकर जुटाए गए रुपए लूटने ही पहुंचे थे। मोना के शरीर पर कपड़े कम थे। इस कारण आशंका कुछ गलत की थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई।

पहली पत्नी की हो गई थी मौत

नीलेश की पहली पत्नी की 12 साल पहले बीमारी से मौत हो गई थी। उसके बाद उसने साली से शादी कर ली थी। इधर नीलेश की माली हालत कुछ खराब हुई तो उसने जुलाई लास्ट वीक में चार बिस्वा जमीन मलाक हरहर के सुदर्शन यादव को 20 लाख रुपए में बेच दी। उसने 19 अगस्त को दो लाख 40 हजार रुपए फाफामऊ के डाक घर में जमा कराए थे। बाकी के रुपए वह पहले ही एसबीआई की फाफामऊ शाखा में जमा करा चुका था। आशंका इस बात की भी है कि किसी करीबी ने जमीन बेचने की बात लीक की। ऐसे लोगों की लिस्ट पुलिस बना रही है।

बच्चों के लिए हंगामा, पहुंचे एसडीएम

मां-पिता की मौत के बाद तीनों मासूम बच्चों का क्या होगा, यह सवाल गांव वालों को परेशान कर रहा था। लोगों ने तुरंत मुआवजे की मांग शुरू कर दी। पुलिस को शव उठाने से रोका गया तो एसडीएम सोरांव दुर्गा प्रसाद गुप्ता को बुलाया गया। हंगामे की खबर पाकर एसपी गंगापार दिगंबर कुशवाहा, एसपी क्राइम व सीओ सोरांव दुर्गा प्रसाद तिवारी भी मौके पर पहुंचे। एसडीएम ने आश्वासन दिया कि राहत कोष से बच्चों को पांच लाख रुपए की मदद दिलवाई जाएगी। इसके बाद ग्रामीण शांत हुए। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। नीलेश के मां-पिता का पहले ही देहांत हो चुका था। वह अकेली संतान था। अब उसके बच्चों को बाकी की जिंदगी मामा के घर ही बितानी होगी।

अनसुलझे हैं कई सवाल

-गोली चली तो किसी को आवाज क्यों नहीं सुनाई दी

-बदमाशों को कैसे पता था कि नीलेश किस कमरे में सो रहा है

-बदमाशों ने लूटपाट के पहले ही पति-पत्‍‌नी का कत्ल क्यों किया

-ऐसा तो नहीं नीलेश ने बदमाशों का चेहरा देख लिया हो

-मामला खुलने के डर से ही दोनों का कत्ल किया जा सकता है

-शामिल बदमाशों की संख्या दो से अधिक भी हो सकती है

पुलिस मामले की जांच कर रही है। लूट की नीयत से ही बदमाश घर में घुसे थे। इसमें किसी करीबी का भी हाथ हो सकता है।

दुर्गा प्रसाद तिवारी, सीओ, सोरांव

नहीं भूल रहे दहशत के वो पल

आंखों के सामने माता-पिता की मौत का वो खौफनाक मंजर देखने वाले सात साल के मयंक के चेहरे पर दहशत के भाव अभी भी देखे जा सकते हैं। वारदात का असर उस पर इस कदर हावी रहा कि उसके गले से आवाज तक नहीं निकल रही थी। पूरा वाकया बताते वक्त उसकी आंखों में नमी घटनाक्रम की भयावहता को बयां कर रही थी। इधर, अंश और सौरभ तो अभी तक यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि उनके माता-पिता अब कभी नहीं मिलेंगे। अंश को जहां दोनों के कहीं बाहर जाने का बहाना बताकर खाना-पीना खिलाया जा रहा है वहीं सौरभ अभी भी अपनी मां के लिए बिलख रहा है। चंद घंटों पहले तक हंसते-खेलते तीनों मासूमों के सिर से मां-बाप का साया उठ जाने से आसपास के लोग भी गमजदा नजर आए। कौन अब तीनों जिंदगियों को सहारा देगा। यह सवाल सभी की आंखों में नजर आ रहा था। हालांकि उनके मामा तीनों को अपने साथ ले गए हैं।

Posted By: Inextlive