प्रवाल रमण की 'मैं और चार्ल्‍स' कुख्‍यात अपराधी चार्ल्‍स शोभराज का बॉयोपिक नहीं है। प्रवाल ने चार्ल्‍स की जिंदगी और एडवेंचर को ग्‍लैमराइज करने की कोशिश नहीं की है। यह फिल्‍म आमोद कंठ के नजरिए से है। आमोद कंठ ने ही चार्ल्‍स को गिरफ्तार कर सजा दिलवाने में मदद की थी। 'मैं और चार्ल्‍स' में चार्ल्‍स शोभराज के संपर्क और जीवन में आए व्‍यक्तियों के माध्‍यम से लेखक-निर्देशक ने चार्ल्‍स के व्‍यक्तित्‍व और अपराध के तरीकों को खेलने और बताने का प्रयास किया है।

चार्ल्‍स को समझने की कोशिश
आरंभ में इस फिल्‍म की घटनाएं और उनके संयोजन में बिखराव का एहसास होता है, जो कुछ समय के बाद लीक पर आ जाता है। पुलिय अधिकारी आमोद कंड की जिज्ञासा में दर्शकों की रुचि बढ़ जाती है। पता चलता है कि अपने संपर्क में आए व्‍यक्तियों का मोहाविष्‍ट कर लेने वाला चार्ल्‍स पढ़ा-लिखा और जानकार अपराधी है। कहा जाता है कि अगर उसने अपना दिमाग अपराध के बजाए किसी नेक काम में लगाया होता तो वह समाज के लिए उपयोगी साबित होता।



डॉयलाग हैं काफी खास

चार्ल्‍स की शीर्षक भूमिका रणदीप हुडा ने निभायी है। हम अभी तक उन्‍हें जिन फिल्‍मों और भूमिकाओं में देखते रहे हैं, इस फिल्‍म में वे उनसे अलग और चुनौतीपूर्ण भूमिका है। उन्‍होंने लुक और स्‍टायल पर बहुत मेहनत की है। फेशियल एक्‍सप्रेशन और डॉयलॉग डिलीवरी में भी उनके परिश्रम की झलक मिलती है। रणदीप ने चार्ल्‍स के रहस्‍यात्‍मक व्‍यक्तित्‍व के तरह खुद को छिपा कर पेश किया है। दरअसल,चार्ल्‍स के जीवन का रोमांच आकर्षित करता है। रणदीप हुडा ने अपने अभिनय से उस आकर्षण को बढ़ाया है। फ्रेंच उच्‍चारण में संवाद बोलने और लड़कियों का रिझाने से लेकर मर्दों को प्रभावित करने तक में रणदीप की करिश्‍माई मौजूदगी उल्‍लेखनीय है।
हर किदार लगता है सच्‍चा
इस फिल्‍म में आदिल हुसैन का अभिनय प्रशंसनीय है। उन्‍होंने पुलिस अधिकारी की दृढ़ता और अपराधी तक पहुंचने के लिए जरूरी निश्‍चयात्‍मकता का अच्‍छा परिचय दिया है। आमोद करिश्‍माई चार्ल्‍स की तह में बैठे अपराधी तक पहुंचने की जिद में दूसरों से भिन्‍न रुख अपनाता है। वह चार्ल्‍स के सहयोगियों से उसके बारे में सब कुछ उगलवाना चाहता है। आदिल ने इस किरदार के लिए आवश्‍यक संयम बरता है। रिचा चड्ढा ने चार्ल्‍स के मोहपाश में बंधी लड़की के किरदार को बखूबी निभाया है। रिचा आने हर किरदार को नए रंग और ढंग में पेश करती हैं। प्रवाल रमण ने सीमित संसाधनों में एक बेहतरीन फिल्‍म पेश की है। विख्‍यात या कुख्‍यात व्‍यक्तित्‍वों को पर्दे पर उतारने का एक नया अंदाज और नजरिया भी दिया है।
Review by: Ajay Brahmatmaj
abrahmatmaj@mbi.jagran.com

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari