मुजफ्फर अली की 'गमन' 'आगमन' और 'उमराव जान' जैसी उल्‍लेखनीय फिल्‍मों के मुरीद हैं क्‍या आप भी। हां तो आपके लिए 'जानिसार' गहरे अवसाद का सबब बनती है। मुजफ्फर अली अपनी अदा और खूबसूरती के साथ इस फिल्‍म में भी मौजूद हैं लेकिन वह जादू उनसे छूट गया है जिसे सिनेमा कहते हैं। इस बार वे बुरी तरह से चूकते नजर आए हैं।

पीरियड गढ़ने में नहीं रखी कोई कसर  
असल में जानिसार 1877 की कहानी है। एक देशभक्‍त तवायफ और एक राजकुमार की इस प्रेमकहानी में तब का समय और समाज रख गया है। मुजफ्फर अली पीरियड गढ़ने में माहिर हैं। वे इस फिल्‍म में भी सफल हैं।
मुख्‍य किरदारों के गठन में दिखी कमी
कमी है तो उनके मुख्‍य किरदारों के गठन में और उन्‍हें निभा रहे कलाकार इमरान अब्‍बास और पर्निया कुरैशी भी कमजोर हैं। वे मौजूद कहानी भी ढंग से अभिव्‍यक्‍त नहीं कर पाते। एक भूमिका स्‍वयं मुजफ्फर अली ने निभाई है। वे खुद भी प्रभाव नहीं छोड़ पाते। सहयोगी कलाकारों में अनेक शौकिया कलाकार हैं, जो फिल्‍म को और भी बेअसर करते हैं।
Movie : Jaanisaar
Director: Muzaffar Ali
Cast : Imran Abbas,Pernia Qureshi,Muzaffar Ali


स्टिल में खूबसूरती बरकरार
हम फिल्‍म के बजाय अगर इस फिल्‍म की तस्‍वीरें देखें और उनकी प्रदर्शनी में शामिल हों तो ज्‍यादा खुश हो सकते हैं। सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से संजोया गया है। स्थिर और स्टिल में यह खूबसूरती बरकरार रहती। चलते-फिरते ही उनकी कमियां नजर आने लगती हैं।
कहानी नहीं है दमदार
दूसरे फिल्‍म की कथा भी इतनी दमदार नहीं है कि वह बांधे रख सके। अफसोस कर सकते हैं और यह सवाल पूछ सकते हैं कि मुजफ्फर अली ने यह फिल्‍म क्‍यों बनाई। वे अवश्‍य कुछ कहना और दिखाना चाहते होंगे, लेकिन वही दिखाने और कहने में वे असफल रहे।
Review by: Ajay Brahmatmaj
abrahmatmaj@mbi.jagran.com

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