फिल्‍म निर्देशक कबीर खान की फिल्‍म फिल्‍म 'फैंटम' का सबसे मनोंरंजक दृश्‍य से शुरू होती है। जब फिल्‍म के मुख्‍य किरदारों में एक सख्‍त किरदार कुछ नौसेना अधिकारियों से पूछता है कि तुम लोगों को 26/11 याद है। जिस रात तुम लोगो ने सबसे अधिक असहाय और असुरक्षित महसूस किया। बस यहीं फिल्‍म में मनोरंजन और खूंखार सीन शुरू होते हैं। बस यही से फिल्‍म करीब 7 साल पहले की सीन याद कराती है। जब कुछ आतंकियों ने शोर मचाते हुए मुंबई शहर में प्रवेश किया था और हजारों नागरिकों को मौत की नींद सुला दी थी।

घाव को कुरेदने की कोशिश होती
इसके बाद यह दिखाया जाता है कि किस तरह से मास्‍टरमांइड हमले के बाद ये सात साल यूं ही लाचारी में बीत गए। इसके बाद फिर से उस दबे हुए घाव को कुरेदने की कोशिश होती और एक बेखौफ एजेंट इस 7 साल पुराने घाव को फिर से हरा करता है। इस दौरान एस हुसैन जैदी की किताब, मुंबई एवेंजर्स के आधार पर यह दिखाया जाता है कि कैसे एक निडर एजेंट पड़ोसी देश जाता है। जिसमें दनियाल खान (सैफ अली खान) की जो कि एक एक्स आर्मी ऑफीसर है। दनियाल खान को आर्मी से निकाल दिया गया है। इसके बाद 26/11 हमले के बाद रॉ अधिकारी दनियाल को चुनते हैं और उससे मदद मांगते है। ताकि  दुनिया के कोने कोने में छिपकर बैठे उन हमलों के मास्टरमाइंड्स को मारा जा सके। इसके बाद दनियाल की उनकी मदद को तैयार हो जाता है। ऐसे में इन आतकियों को मारने में नवाज मिस्त्री (कैटरीना कैफ) दनियाल की काफी मदद करती है।
Phantom
Director : Kabir khan
Cast : Saif Ali Khan,Katrina Kaif,




अंधराष्‍ट्रीयता को दूर करने का प्रयास

निर्देशक कबीर खान निर्देशित फिल्‍म फैंटम में वहीं पुरानी कहानी को एक बार फिर से पिरोने की कोशिश दिखती है। फिल्‍म की पटकथा ढुलमुल साबित होती है। फिल्‍म में कुछ सीन तो ऐसे हैं जैसे, नाखूख काटने वाले सीन भी बड़े अजीब लगे। इसके अलावा कुछ और सीन ऐसे हैं जो लगता है कि पहले काफी उठाए गए लेकिन फिर एक साथ बिल्‍कुल छोड़ से दिए गए हैं। हालांकि फिल्‍म ने अंधराष्‍ट्रीयता को दूर करने का भी अथक प्रयास किया गया। कहानी में बैलेसिंग तो थोड़ी ठीक दिखी। जिसके मुताबिक इसमें दिखाया गया कि किस तरह से एक खान आतकियों के सफाए के लिए आगे आता है। जिससे साफ है कि किसी एक धर्म या समुदाय को किसी भी एक बात के लिए दोषी नहीं मानना चाहिए।
हकीकत की स्‍िथतियों से रूबरू होंगे
फिल्‍म फैंटम में सैफ अली खान का चरित्र काफी सराहनीय लग रहा है, लेकिन कई बार ऐसा लगा कि जैसे इस चरित्र को एक्‍स्‍ट्रा उतारा गया है। निर्देशक ने इस किरदार को उभारने के लिए अनावश्‍यक बिंदुओं पर जोर दिया है। इसमें हीरोगीरी सबसे बड़ा दुविधा वाला प्‍वाइंट दिखा। वहीं कटरीना का रोल थोड़ा सख्‍त होते हुए भी ढीला दिखा। जिससे कटरीना के रोल में अनावश्‍यक चीजों को समाहित करना उनके लिए थोड़ा हल्‍का हो गया है, लेकिन प्रभावशाली रहीं। हालांकि इस सबके साथ ही यह टिकट के पैसे को स्‍वार्थ कराने की ताकत रखने वाली फिल्‍म प्रतीत होती है। ऐसे में फिल्‍म को समझने के लिए पहले देखें। उसकी खामियों को किनारे कर दे तो इस दौरान खुद को हकीकत की स्‍िथतियों से रूबरू होते हुए महसूस करेंगे। कल्‍पनाओं के हवाई सफर में आप खुद को उडते हुए अहसास करेंगे।

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Review by : Shubha Shetty Saha
shubha.shetty@mid-day.com

Posted By: Shweta Mishra