नगर निगम के घोटाले की आंच लखनऊ तक
- वाहनों की मरम्मत के नाम पर पांच वर्षो में करोड़ों रुपये का वारा-न्यारा
अलग-अलग मद से मरम्मत के नाम पर कराते थे भुगतान VARANASI नगर निगम के परिवहन विभाग में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले की आंच नगर निकाय निदेशालय लखनऊ तक पहुंच गई है। कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने 25 दिसंबर को डीएम को पत्र लिखकर घोटाले की जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद डीएम ने नगर निकाय निदेशालय को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराया है।विधायक के पत्र लिखने के बाद से ही नगर निगम में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि ने नगर आयुक्त गौरांग राठी ने इस मामले में चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। इसके बावजूद मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर सवाल उठते रहे हैं। नगर निगम के परिवहन विभाग में वाहनों के मरम्मत के नाम पर कई वर्षो से फर्जी फाइल बनाकर भुगतान कराने का खेल चल रहा है। पिछले चार-पांच वर्षो में इसमें करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। इसके लिए मनचाहे ठेकेदार को नियुक्त कर फर्जी फाइलों को बनाकर भुगतान कराया जाता है। साथ ही वाहनों के मरम्मत और उसके पूर्जो के खरीद के लिए अलग अलग मदों का सहारा लिया जाता था। कई खर्चे ऐसे भी हैं जिनका भुगतान कई मदों से किया गया है। परिवहन विभाग में वाहनों के रखरखाव पर किस तरह मनमाना खर्च किया जाता था। इसका नमूना दिसंबर में नगर निगम के सदन में पुनरीक्षित बजट के दौरान देखने को मिला। इसमें अन्य मद का जिक्र था जिसमें 3.71 करोड़ खर्च किए जा चुके थे। वर्ष 2018-19 में इस मद में 3.50 करोड़ खर्च किए गए थे। ये खर्च कहां और किसलिए किए गए इसका जवाब अधिकारियों के पास नहीं था। इसी तरह लेखाधिकारी मनोज त्रिपाठी के चार्ज लेने के बाद परिवहन विभाग का खर्च लगभग आठ गुना कम हो गया है। दस महीने बीतने के बाद लगभग अब तक साठ लाख खर्च हुए हैं जबकि पिछले वर्ष 2018-19 में यह खर्च साढ़े चार करोड़ ने अधिक था।