मोदी का रोड शो, केजरीवाल का ध्यान
बनारस में इस वक़्त कई जगह भाजपा की टोपी और झंडे ही दिखाई दे रहे हैं. शहर में रैली के मद्देनज़र बंद जैसा माहौल है. ज्यादातर दुकानें बंद रखी गई है.ऑटो भी कम चल रहे हैं. रैली से होने वाली परेशानियों की वज़ह से कई निजी शिक्षण संस्थान भी हैं.उधर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जो पहले से ही वाराणसी में हैं, वो शहर के अस्सी घाट पर 'प्रार्थना और साधना' कर रहे हैं.क़रीब 40-50 समर्थकों के साथ अरविंद केजरीवाल घाट पर सोमनाथ भारती के साथ हुई मार-पीट के प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर ध्यान-साधना कर रहे हैं.यहाँ तीन पार्टियाँ मुकाबले में हैं, भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी. लेकिन तीनों पार्टियों का प्रचार का तरीक़ा बिल्कुल अलग है.
आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल दिल्ली में आजमाए हुए तरीक़े से गली-गली घूम कर, घर-घर जाकर, स्थानीय स्तर पर मोहल्ला चौपाल लगाकर कर प्रचार कर रह रहे हैं.प्रचारभाजपा के नेताओं का प्रचार का तरीक़ा थोड़ा अलग है. स्थानीय पत्रकार नीलांबुज तिवारी के अनुसार भाजपा के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता छोटी-छोटी टोलियाँ बनाकर लोगों से मिल रहे हैं.
नीलांबुज कहते हैं, "भाजपा का प्रचार अभी चाय-पान की दुकानों तक ही सीमित है. अभी उसके बड़े नेता घर-घर जाकर वोट नहीं मांग रहे हैं."
भाजपा के लिए दूसरी बड़ी चुनौती ग़ैर शहरी वोटों का हैं. रमेश कुमार सिंह कहते हैं, “शहरी क्षेत्र में भाजपा हमेशा से अच्छा करती रही है लेकिन गांव के इलाक़ों में मोदी का प्रभाव अभी उस तरह नहीं दिख रहा है.”मोदी के लिए एक चुनौती मतदान का प्रतिशत भी हो सकता है. कम मतदान होने पर मोदी के लिए जीत की राह कठिन हो सकती है. रमेश कुमार कहते हैं, “अगर 45 प्रतिशत तक मतदान होता है तो मोदी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. लेकिन यदि मतदान 50-55 प्रतिशत हुआ तो मोदी की संभावना बहुत बढ़ जाएगी.”