शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्‍यायनी की पूजा होती है। आइए जानें कि किस तरह उनकी पूजा करने से वह प्रसन्‍न होती हैं। देवी के नौ रूपों में से यह उनका छठवां रूप है।


शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन देवी कात्यायनी की आराधना की जाती है। देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया। देवी सिंह की सवारी करती हैं। उनके चार हाथ हैं, दाहिने दोनों हाथों में से एक अभय मुद्रा व दूसरा वरद मुद्रा में रहता है और बाएं दोनों हाथों में से एक में तलवार व दूसरे में कमल का पुष्प धारण करती हैं। यह माना जाता है कि वह बृहस्पति ग्रह का संचालन करती हैं।  दूर करती हैं भय, निराशा व चिंता  


मां दुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी की पूजा से राहु जनित व काल सर्प दोष दूर होते हैं। देवी की विधिपूर्वक आराधना करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है व मार्ग में आने वाली कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है। यह विश्वास है कि मां कात्यायनी की पूजा से मस्तिष्क, त्वचा, अस्थि, संक्रमण आदि रोगों में लाभ मिलता व कैंसर की आशंका कम हो जाती है।  Navratri Day 5: किस तरह करें मां स्कंदमाता की पूजा, विधि और भोगपूजा विधि, भोग व कथा

शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी के पूजन में कदंब का पुष्प देवी को अर्पित करें। कथा है कि देवी पार्वती का जन्म ऋषि कत्य के घर हुआ था इसीलिए वह कात्यायनी कहलाईं। यह भी कहा जाता है कि यह रूप उन्होंने महिषासुर के वध के लिए धरा है। जिसमें वह युद्ध के लिए तैयार नजर आती हैं।Navratri Day 4 किस तरह करें माता कूष्माण्डा की पूजा, विधि और भोग

Posted By: Vandana Sharma