शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन देवी के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है। आइए जानें कि किस तरह उनकी पूजा करने से वह प्रसन्‍न होती हैं। यह देवी के नौ रूपों में से एक है।


शारदीय नवरात्रि में देवी के नौवें रूप सिद्धिदात्री की आराधना होती है जो भक्तों को सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। वह कमल के आसन पर विराजमान व सिंह की सवारी करती हैं। वह एक हाथ में गदा, दूसरे में चक्र, तीसरे में कमल का पुष्प व चौथे में शंख धारण करती हैं। यह माना जाता है कि वह केतु ग्रह की दिशा दिखाती व ऊर्जा प्रदान करती हैं। मान्यता है कि वह आदि पराशक्ति का ही एक रूप हैं।जीवन में हर बाधा हो जाती है दूर    मां दुर्गा के नवें रूप सिद्धिदात्री की आराधना से केतु के दोष दूर होते हैं। वास्तु दोषों के साथ ही जीवन में आने वाली बाधाओं से मनुष्य पार पाता है। देवी की पूजा से अचानक उन्नति, शेयर बाजार में लाभ, मन मुताबिक स्थानांतरण, कार्यक्षेत्र में सफलता आदि प्राप्त होती है।


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शारदीय नवरात्रि में देवी सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। उनकी आराधना मनुष्य ही नहीं देव, दानव, यक्ष, गंधर्व और सिद्ध भी करते हैं। कथा है कि भगवान शिव के वाम अंग से देवी सिद्धिदात्री के प्रकट होने के कारण ही वह अर्धनारीश्वर कहलाए। यह मान्यता है कि ब्रह्मांड के आरंभ के समय भगवान शिव ने सृजन के लिए आदि पराशक्ति की आराधना की। यह माना जाता है कि आदि पराशक्ति का कोई रूप स्वरूप नहीं है। इसलिए वह भगवान शिव के वाम अंग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं।Navratri Day 6: किस तरह करें मां कात्यायनी की पूजा, विधि और भोग

Posted By: Vandana Sharma