- भीषण जल त्रसादी के बाद केदारघाटी की तरह हुए नेपाल के हालत

- विनाशकारी भूकंप के पांच दिन बाद मलबे में मिलने लगे सड़े गले शव

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DEHRADUN : नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद मलबे में दबे लोगों की पहचान उत्तराखंड करवाएगा. इसके लिए पुलिस की फॉरेंसिक टीम तैयार बैठी हुई है. इंतजार सिर्फ नेपाल की तरफ से स्वीकृति मिलने का किया जा रहा है. स्वीकृति मिलते ही फॉरेंसिक टीम डीएनए टेस्ट के माध्यम से शवों की पहचान करवाने का काम करेगी.

नेपाल से लौटी पुलिस टीम

दरअसल, जून ख्0क्फ् में केदारघाटी में आई भीषण जल त्रासदी के दौरान मलबे में दबे लोगों की पहचान करवाने में फॉरेसिंक टीम ने अच्छी भूमिका निभाई थी, जिसने डीएनए टेस्ट के माध्यम से शवों की पहचान करवाई थी. इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड को इस काम के लिए चुना है. जिस क्रम में आईजी जीएस मार्तोलिया के नेतृत्व में एक टीम स्थिति का जायजा लेने के लिए नेपाल भेजी गई, हालांकि टीम रास्ते ध्वस्त होने के कारण भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र काठमांडू तक पहुंचने से पूर्व ही लौट आई. आईजी जीएस मार्तोलिया ने बताया कि नेपाल के कुछ हिस्से तक ही टीम पहुंच सकी, जहां स्थिति काफी भयावह है.

केदारनाथ जैसे हैं हालात

जल त्रसादी के बाद केदारघाटी के हालातों की तरह भूकंप के पांच दिन बीत जाने के बाद नेपाल के हालात हो गए हैं, जहां हजारों की संख्या में शवों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है, जो शव मलबे में मिल रहे हैं. उनकी पहचान कर पाना आसान नहीं है, क्योंकि वे सड़ी गली हालत में हैं. ऐसे वक्त में उत्तराखंड की फॉरेसिंक टीम डीएनए के माध्यम से शवों की पहचान करवाने का काम बखूबी कर सकती है. क्योंकि उसे इस काम का अच्छा अनुभव है.

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इसी तरह होती है मृतक की पहचान

किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा के दौरान शव कई अवस्था में मिलते हैं. कोई क्षत-विक्षत हालत में बरामद किया जाता है तो कुछ के कई माह बाद कंकाल ही बरामद होते हैं. ऐसे में उसकी पहचान डीएनए टेस्ट के सहारे की जाती है, जिसके तहत मृतक की हड्डी, खून, दांत, नेल्स में से किसी एक का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट किया जाता है. इसका मिलान उन लोगों के डीएनए से करवाया जाता है जो अपनों के लापता होने का दावा करते हैं.

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सड़े गले शवों की पहचान डीएनए टेस्ट के माध्यम से करवाई जा सकती है. आपदा के दौरान उत्तराखंड में इसी तरह शवों की पहचान करवाई गई. यदि नेपाल में भी में भी इस काम की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी तो फॉरेंसिक टीम तैयार है. इंतजार सिर्फ नेपाल गवर्नमेंट की स्वीकृति का है.

-जीएस मार्तोलिया, आईजी

Posted By: Ravi Pal