तुर्की में हाल ही में एक नवविवाहित दंपत्‍ित ने अपनी शादी को बड़े ही रोचक तरीके से यादगार बनाया। उन्‍होंने अपनी शादी की खुशियां ऐसे लोगों के साथ बांटी जो कि हकीकत में उन्‍हें दुआ दे सकें। जी हां उन्‍होंने सीरिया से आए 4000 शरणार्थियों को अपनी शादी में निमंत्रण देकर भोजना बांटा। इस दौरान वहां आए सभी शरणार्थी खाना खाकर काफी खुश हुए और उन्‍होंने नवदंपत्‍ित को दिल से आशीर्वाद भी दिया।


संगठन 'किमसे योक मू'जानकारी के मुताबिक बीते गुरुवार को वर-वधु फतेउल्लाह उजुम्कुलू और एजरा पोलात ने सीरिया की सीमा के निकट स्थित दक्षिण तुर्की के किलिस शहर में शादी रचाई। इस दौरान उन्होंने अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए और अपनी खुशियों में लोगों को काफी शानदार तरीके से शामिल किया। इस शादी को शानदार बनाने का आइडिया दूल्हे के पिता अली उजुम्कुलू का था। वे अपने बेटे की शादी की खुशियों को उन लोगों में बांटना चाहते थे जो कि दिल से उनके समारोह में शामिल हो सके। वह बिना किसी दिखावे के उन्हें दिल से आशीर्वाद दे सके। ऐसे में उन्हें शरणार्थियों को भोज कराने का फैसला लिया। इसमें उन्होंने  वहां की एक समाजसेवी संगठन 'किमसे योक मू'से मदद मांगी। समाजसेवी संगठन 'किमसे योक मू'ने इस नेक काम में उनकी पूरी मदद की। इसके बाद उसकी मदद से कैटरिंग की तैयारी हुई।
वर बधू ने परोसा खाना


इस दौरान शादी पर नवदंपत्ित को आशीर्वाद देने के लिए दूल्हे के पिता ने काफी बेहतरीन अंदाज में इंतजाम किया था। उन्होंने अपने बेटे बहू फतेउल्लाह उजुम्कुलू और एजरा पोलात की किसी स्टेज पर बैठाने की बजाय काम करने के लिए बैठा दिया। जी हां इस दौरान वर वधू फतेउल्लाह उजुम्कुलू और एजरा पोलात ही किलिस में सीरिया से आए 4000 शरणार्थियों  को खाना परोस रहे थे। सभी शरणार्थी खाना लेकर आगे बढ़ रहे थे और उन्हें दिल से दुआ दे रहे थे। उनके चेहरे पर हंसी देख वर वधू और उनका पूरा परिवारा काफी खुश हो रहा था। पिता पिता अली उजुम्कुलू का मानना था कि वह अपने बेटे की शादी पूरी तरह से 'निस्वार्थ भाव' से कर रहे हैं। यह उनके बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।फैसला सुनकर शॉक्ड हुई

वहीं इस पूरे आयोजन को लेकर वर फतेउल्लाह उजुम्कुलू का कहना है कि वह अपने पिता के इस फैसले से काफी खुश हैं। उनकी शादी पर शरणार्थियों की आंखों में काफी खुशी दिख रही थी। वह उन्हें प्यार और आशीर्वाद दे रहे थे। इसके साथ वधू एजरा पोलात का कहना है कि पहले जब उन्होनें फतेउल्लाह उजुम्कुलू के पिता यानी की अपने ससुर जी का फैसला सुना था तो शॉक्ड हो गई थीं, लेकिन बाद में इसे पूरा कर काफी अच्छा लगा। इस दौरान शरणार्थी बच्चों की आंखों में खुशी दिख रही थी। बतातें चलें कि सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत के बाद से वहां के हालात बहुत खराब हैं। जिससे तुर्की में करीब 40 लाख लोगों ने शरण ली है। जब कि सीरिया में अभी कई लाख लोग बेघर हो चुके हैं और वे खुले आसमान के नीचे दिन गुजार रहे हैं।

Hindi News from World News Desk

Posted By: Shweta Mishra