पीएम साहब! सांसद के आदर्श गांव में विकास की एक ईंट भी नहीं लगी

-विकास के अभाव में दम तोड़ रहा सांसद का गोद लिया गांव

-एक साल के भीतर सांसद निधि से गांव में नहीं लगी एक भी ईट

-सामुदायिक सेवाओं की स्थिति हुई दूभर, दुर्दशा का शिकार रास्ते

Meerut: शहर से क्भ् किलोमीटर दूर गढ़ रोड पर गांव भगवानपुर चट्टावन. मुख्य मार्ग से डेढ़ किलोमीटर लिंक रोड पर चलने के उपरान्त गांव होने का आभास होने लगता है. हालांकि किठौर का क्षेत्र है, लेकिन यहां से किठौर की दूरी भी करीब क्ख् किलोमीटर है. लिंक रोड को देखकर ऐसा लगता है, जैसे गांव में विकास की बयार बह रही हो, लेकिन गांव में प्रवेश करने पर भ्रम दूर होने में देर नहीं लगती. जबकि प्रधानमंत्री गांव विकास योजना के तहत सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने एक साल पहले गांव को गोद लिया था.

देखिए गांव की हालत

गांव वालों का कहना है कि जब से गांव गोद लिया है, तब से सांसद जी के दर्शन केवल एक दो-बार विवाह समारोह में हुए हैं. सांसद जी दावत खाने आते है और दावत खाकर से निकल जाते हैं. इस बीच न तो किसी ग्रामवासी से कोई समस्या पूछते हैं और गांव का हाल.

सांसद निधि पैसा नहीं

ग्रामवासियों का कहना है कि एक दो बार लोगों एकजुट होकर गांव के विकास का प्रस्ताव सांसद के सामने रखना भी चाहा, लेकिन सांसद जी बोले की अभी सांसद निधि में कोई पैसा नहीं आया है. इस लिए विकास प्रस्तावों पर अभी कोई काम नहीं किया जा सकता है.

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योजना के तहत नाली भी नहीं बनी

जब से गांव गोद लिया है, सांसद जी के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं. गांव के विकास से उन्हें कोई सरोकार नहीं है. सांसद आज तक अपने गांव के लोगों का हाल जानने भी नहीं आए.

-रामवीर सिंह

एक साल हो गया, लेकिन अभी तक सांसद जी ने गांव में कोई नाली निर्माण तक भी नहीं कराया. सांसद निधि से आज तक विकास के नाम पर कोई ईट भी नहीं लग पाई.

-संजीव तोमर

गांवों के विकास के लिए आने वाले विकास को पैसे को सांसद अपने कोठी पर खर्च कर रहे हैं. सांसद खुद आलीशान बंगले में रहते हैं, जबकि गांव दुर्दशा का शिकार हो रहा है.

-रामपाल सिंह

हल्ला-गुल्ला करने पर सांसद के आदमी डायरी में समस्याओं को नोट करके ले जाते हैं, लेकिन समस्याओं का निस्तारण आज तक नहीं कराया जा सका है.

-प्रदीप

आस-पास के गांवों में विकास की बयार बह रही है. मूलभूत सेवाओं से लेकर स्कूल पाठशालाओं तक का समग्र विकास हुआ है, लेकिन हमारा गांव इलाके का सबसे पिछड़ा हुआ गांव बन कर रह गया है. यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ.

-बृजदीप सिंह

सांसद ने गोद लेकर गांव को बदनाम और कर दिया है. सांसद खुद तो विकास कार्य कराता है, नहीं सांसद का ठप्पा लगने के कारण अन्य नेताओं ने भी यहां के विकास कार्यो से मुहं मोड़ लिया है.

-विजय पाल सिंह, पूर्व प्रधान

गांव में केवल छह घंटे बिजली आती है और वह भी किस्तों में. बिजली की बहुत बुरी हालत है. न तो चैन से सो पाते हैं और सुकून से रह पाते हैं. बिजली न आने का सबसे बुरा असर तो पढ़ने-लिखने वाले बच्चों पर पड़ रहा है.

-गोपाल दत्त

गांव में जितना भी विकास हुआ है. वह सब ग्राम पंचायत के कोटे से ही हुआ है. सांसद निधि से यहां अभी तक कोई कार्य नहीं हो सका. इस संबंध में कई बार सांसद से बात भी की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हो सका.

-भूपेन्द्र तोमर

ग्रामवासियों का एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जाकर मिलेगा और गांव में विकास कार्य न होने का कारण पूछेगा साथ ही सांसद की शिकायत भी करेगा.

-विमलेश

सांसद का गांव के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं है. उनकों तो बस पैसा कमाने की पड़ी है. गांव में दुर्दशा के शिकार लोग विकास न होने पर सांसद का बहिष्कार कर देंगे.

-प्रमोद तोमर

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क्या है सांसद आदर्श ग्राम योजाना

रूद्गद्गह्मह्वह्ल: गांवों के सर्वागीण विकास के उद्देश्य से क्क् अक्टूबर ख्0क्ब् के दिन जो कि जयप्रकाश नारायण का जन्म दिवस भी है, अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसद आर्दश ग्राम योजना का शुभारंभ किया था. योजना के अंतर्गत सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को अपने क्षेत्र का कम से कम एक गांव गोद लेकर उसका समग्र विकास कराना था. इसी कड़ी में मेरठ-हापुड लोक सभी सीट से सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने किठौर क्षेत्र के भगवानपुर चट्टावन को गोद लिया था.

क्या है आदर्श गांव

योजना के अंतर्गत गोद लिए गांव में सांसद को मूलभूत सुविधाओं बिजली, सड़क, पानी से लेकर गांव का पूर्ण विकास कराना था. इसमें गांव का सामाजिक विकास, भौतिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर, सांस्कृतिक विकास, गांवों कच्चे घरों में रह रहे लोगों को पक्का मकान मुहैया कराना व सामुदायिक विकास पर बल दिया जाना था. योजना के अंतर्गत सांसद को ख्0क्म् तक गांव का पूर्ण विकसित करना था, ताकि आम चुनाव ख्0क्9 तक सांसद अन्य दो या तीन गांवों का भी विकास करा सके.

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भगवानपुर चट्टावन

गांव - भगवानपुर चट्टावन

आबादी - फ्भ्00

मतदान - ख्म्भ्म्

विधानसभा - किठौर

ब्लॉक - रजपुरा

लोकसभा - मेरठ-हापुड

सांसद - राजेन्द्र अग्रवाल

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

विकास - शून्य

गांव में घुसते ही आपको झटके लगने शुरू हो जाते हैं. सबसे पहला झटका आपको तब लगता है जब लिंक रोड आपका साथ छोड़ देती और आप अचानक से कच्चे रास्तों पर आ खड़े होते हैं. हालांकि गांव में इक्का-दुक्का रास्ता पक्का जरूर है, लेकिन उसका सांसद या उनकी सांसद निधि से कोई सरोकार नहीं है. अब अति-पिछड़े गांवों में भी खड़ंजा प्रथा लगभग खत्म हो चुकी है, ऐसे में सांसद जी के इस गांव में आपको संकरी गलियों में पचास साल पुराने खड़ंजे दिखाई दे जाएंगे.

उफन रही नालियां

गांव के पानी की निकासी की व्यवस्था शून्य है. हालांकि जहां-तहां कुछ नालियां बनी हैं, लेकिन उनमें पानी और कीचड का उफान इस कदर है कि उसने आधे रास्ते को भी अपनी चपेट में ले लिया है. घरों से बाहर आते पानी के लिए निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, नालियां बिल्कुल अटी पड़ी हैं या फिर बंद हो चुकी हैं. नतीजतन लोगों ने पानी की निकासी के लिए अपने घरों के बाहर ही गड्ढे खोद लिए हैं, जिनमें हमेशा पानी भरा रहता है और उसके ऊपर मच्छर भिनभिनाते रहते हैं.

सूख गए नलकों के गले भी

गर्मियों के आते ही एक और जहां लोग धमार्थ के लिए प्याऊ लगाकर प्यासे लोगों का गला तर करते हैं, वहीं सांसद के गांव में हैंडपंप सूख गए हैं. खराब पड़े हैं. यदि एक-आध सही भी है तो उसका पानी उतर गया है और वह पीने लायक नहीं बचा. नलों के चारों और खड़ी बड़ी-बड़ी घास और कीचड़ इस कदर जमी है कि कोई नल तक जाने की हिम्मत भी न कर पाए.

बिजली की समस्या

गांव में बिजली का भी बुरा हाल है. बिजली के जो तार लगाए गए थे, अब उनमें गांठ मारकर काम चलाया जा रहा है. ट्रांसफार्मरों का टोटा इस कदर है कि भ्0 लोग नलकूप के ट्रांसफार्मर में कनेक्शन जोड़ कर घर में उजाला कर रहे हैं. गांव वालों ने कई बार ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किए, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

स्लज से भरे जोहड़

गांवों में जोहड़ आदि की व्यवस्था वाटर लेवर को मेंटेन रखने की लिए जाती थी, लेकिन भगवानपुर चट्टावन के जोहड़ वाटर लेवल के स्थान पर कीचड़ और गंदगी को मेंटेन कर रहे हैं. गांव में चार जोहड़ हैं, जिनसे निकल रही दुर्गध के कारण उसके नजदीक खड़े होकर दो मिनट सांस लेना दूभर है. जोहड़ का सौंदर्यीकरण तो दूर चारों ओर बाउण्ड्री भी नहीं है. कुछ लोगों ने जोहड़ की जमीन को कब्जा कर अपने आशियाने खड़े कर लिए हैं.

सामुदायिक केंद्र की दुर्दशा

अब बात करते हैं सामुदायिक सेवाओं की. वैसे तो गांव में में दस साल पूर्व ही सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र का निर्माण करा दिया गया था, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि आज तक उसको कोई चिकित्सक मयस्सर नहीं हो सका. सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र की हालत यह हो गई है कि यहां रात में असामाजिक तत्वों की आवाजाही और दिन में कुत्ते-बिल्लियों का ठिकाना रहता है. गंदगी इस कदर फैली है, कि पैर रखने के लिए कोई जगह नहीं बची है. एक सरकारी नल है, जिसका पानी शायद ही कभी किसी ने पिया हो और आज उसको रिपेयर कराने वालों के भी टोटे पड़े हैं.

बदहाली का शिकार पाठशालाएं

गांव में सबसे बुरा हाल तो शिक्षा के मंदिरों का है. गांव में दो प्राइमरी पाठशाला और एक जूनियर हाई स्कूल है. स्कूलों की इमारत जहां जर्जर दिखाई देती है, वहीं प्रसाधन संबंधी सेवाओं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं. टॉयलेट आदि के स्थान पर टूटी-फूटी बड़ी सीटों को देखकर ऐसा लगा है कि मानों हम स्कूल में नहीं बल्कि किसी खंड़र में खड़े हों. प्रसाधन संबंधी सेवाओं न होने से सबसे बड़ी आफत गांव की बालिकाओं के सामने है.

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दावत खाने आते हैं सांसद जी

Posted By: Lekhchand Singh