राज्‍य सभा में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के दौरान बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अत्याचार करना किसी भी समाज के लिए कलंक की बात है और उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि देश के 125 करोड़ लोगों की देशभक्ति पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है और न ही हर समय प्रत्‍येक को अपनी देशभक्ति का सबूत देने की आवश्यकता है। जबकि सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि देश में कट्टरपंथी ताकतो के बढ़ने के बावजूद प्रधानमंत्री कोई प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं समझते।

सकारात्मक राजनीति पर प्रधानमंत्री ने दिया जोर
संविधान निर्माण की गाथा बताने के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष को सकारात्मक राजनीति का संदेश दिया। कांग्रेस समेत तमाम नेताओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान बताते हुए मोदी ने दो टूक कहा कि देश तू-तू-मैं-मैं से नहीं, बल्कि सबके सकारात्मक योगदान से चलता है। बिना तंज और कटाक्ष कसे हुए प्रधानमंत्री ने विपक्ष को याद दिलाया कि संसद के आचरण का पालन आम लोग भी करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर संविधान के प्रति प्रतिबद्धता जताने के लिए राज्यसभा में आयोजित चर्चा में जवाब देते हुए कहा, "एकता का मंत्र भारत जैसे देश में केंद्रित होना चाहिए। समता के साथ ममता, समभाव के साथ ममभाव जरूरी है। हमें संविधान की धाराओं में सिमटने के बजाय उसकी भावना के अनुसार चलना होगा। पक्ष, विपक्ष से ऊपर उठकर निष्पक्षता का साथ देना होगा। बिखरने के तो अनेक बहाने हैं, हमें जोड़ने के अवसर खोजने होंगे। संविधान इसका रास्ता दिखाता है। उसे जीकर दिखाना होगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के सामने कई चुनौतियां हैं। हमें चीजों को सकारात्मक ढंग से लेना चाहिए। भारत का संविधान एक महान राजनीतिक उद्यम है। यह जोड़ने की ताकत देता है। प्रधानमंत्री के अनुसार संविधान निर्माताओं ने सोचा नहीं था कि कभी एथिक्स कमेटी की जरूरत पड़ेगी। इसी के साथ उन्होंने कृषि के आधुनिकीकरण के साथ औद्योगिकीकरण पर ध्यान देने की बात भी की क्योंकि बाबा साहेब औद्योगिकीकरण के पक्ष में थे। उन्हें पता था कि दलितों के पास जमीन नहीं है और उन्हें रोजगार के लिए उद्योग चाहिए। इसके लिए पूंजी व मशीनरी के उपयोग से कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ भूमि पर निर्भरता घटाने के साथ श्रम में कटौती करनी पड़ेगी।
किसी को सुबह-शाम देशभक्ति के लिए सबूत देने की जरूरत नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान सामाजिक दस्तावेज भी है। इसे जीकर दिखाना हमारा दायित्व भी बनता है। इसके लिए किसी को सुबह-शाम देशभक्ति के लिए सबूत देने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने अयंगर का उदाहरण देते हुए कहा कि राज्यसभा को कानून बनाने में बाधक नहीं होना चाहिए। इस सदन के लिए इससे बड़ा दिशानिर्देश और कोई नहीं हो सकता। लोकसभा में विधेयकों के पारित होने के बाद कई विधेयकों के राज्यसभा में अटके होने को लेकर उन्होंने कहा कि नेहरू ने भी दोनों सदनों के बीच आपसी सहयोग पर बल दिया था, यह काफी महत्वपूर्ण है। देश हमारी ओर देख रहा है।

विरोध का मतलब देशद्रोह क्यों है: राहुल गांधी
वहीं लोक सभा में बोलते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वे सरकार से गुजारिश करते हें कि वह पाकिस्तान से गलत चीजें न सीखे। राहुल ने आगे कहा कि आज हिन्दुस्तान में विरोध प्रदर्शन का मतलब देशद्रोह हो गया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की बात तो की जाती है लेकिन दलितों को कुत्ता कहने वाले केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाता है।

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Posted By: Molly Seth