No smoking day special

एक सर्वे के मुताबिक 13 से 15 साल के 14.6 फीसदी छात्र तंबाकू की लत का शिकार हो चुके हैं

Colvin hospital में स्वास्थ्य विभाग ने खोला center

Schools के सौ गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचना है अपराध

ALLAHABAD: क्या आपको पता है कि विश्व में रोकी जा सकने वाली मौतों और बीमारियों का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है। दुनियाभर में साठ लाख लोग हर साल तंबाकू सेवन से अपनी जान गवा देते हैं। और तो और, प्रत्येक 6.5 सेकंड में एक व्यक्ति स्मोकिंग की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठता है। प्रतिदिन 2500 से अधिक भारतीय तंबाकू सेवन से मरते हैं। इतना सब होने के बावजूद धूम्रपान करने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक लोगों को गंदी लत से बचाने के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य लोगों को धूम्रपान से होने वाले खतरों के प्रति जागरुक करना है।

मिलेगी तंबाकू छोड़ने की tips

तंबाकू के खतरों के प्रति जागरुक करने के लिए कॉल्विन हॉस्पिटल में एक सेंटर की स्थापना की गई है। यहां, पर लोगों को तंबाकू छोड़ने के तरीके बताए जाते हैं। एसीएमओ व नोडल एनसीडी अधिकारी डॉ। आशुतोष कुमार बताते हैं कि तंबाकू के दुष्प्रभाव को रोकने लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें प्रशिक्षण, नुक्कड़ नाटक, शिविर और स्कूलों में कार्यक्रम चलाकर लोगों में जागरुकता फैलाई जा रही है।

बनाया गया है कठोर कानून

सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान अपराध है। इसके तहत पार्क, हॉस्पिटल, कार्यालय, सिनेमाघर, रेस्टोरेंट और होटल आदि में चेतावनी बोर्ड लगाकर लोगों को होशियार किया जाता है। धारा छह के तहत शिक्षण संस्थाओं के सौ गज के दायरे में तंबाकू बेचना व 18 साल से कम आयु वर्ग को तंबाकू बेचना या उससे खरीदना भी दंडनीय अपराध माना गया है। इसका उल्लंघन करने पर आर्थिक या कारावास दोनों का दंड दिए जाने का प्रावधान कोटपा एक्ट 2003 में किया गया है।

फिर भी नही होता पालन

इतना सब होने के बावजूद स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री धड़ल्ले से चालू है। स्वास्थ्य विभाग ने इसपर काबू करने के लिए टीमों का गठन किया है जो केवल कागजों में सक्रिय है। सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू उत्पादों का उपयोग करने वालों पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया भी धीमी है। पुलिस व प्रशासन के लोग भी कानून को लेकर सक्रिय नहीं दिखते।

कोटपा एक्ट 2003 के अंतर्गत कठोर नियम बनाए गए हैं। लोगों को तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरुक किया जा रहा है।

डॉ। आशुतोष, एसीएमओ व नोडल एनसीडी

Posted By: Inextlive