कहीं आप भी तो नहीं खा रहे केमिकल वाला हरा चना
- रियलिटी चेक में ओरिजनल और कैमिकलाइज्ड चने में दिखा अंतर
prayagraj@inext.co.inPRAYAGRAJ: इन दिनों मार्केट में हरा चना खूब बिक रहा है. लेकिन कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए इसे केमिकल से कलर किया जा रहा है. ऐसा कस्टमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए किया जा रहा है. एक दुकानदार ने दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर के सामने यह खुलासा किया.हरा चना और होरहा में अंतर
इन दिनों मार्केट में हरा चना खाना सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है. वजह, यहां बिक रहे हरा चना हकीकत में हरा चना नहीं है. इसे अलग से रंग दिया जा रहा है. हरा चना होरहा से ही निकलता है, लेकिन होरहा से निकलने वाले चने और मार्केट में बिक रहे चने के कलर में अंतर आपको साफ दिख जाएगा.
चना को लगा रहे थे रंग
दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने गुरुवार को होरहा बेच रहे एक दुकानदार से पूछा कि होरहा से निकलने वाले चने का रंग हल्का क्यों है? जबकि मार्केट में बिक रहा छिला हुआ हरा चना एक दम डार्क ग्रीन कलर का होता है. दुकानदार ने कहा, भइया, हम होरहा रंगित नाही. मतलब ये कि वह होरहा रंगता नहीं है. उसने कहा कि जिस छिले हुए चने को लोग हरा चना समझ कर खाते हैं, वह होरहा से निकला चना ही होता है. लेकिन उसके रंग को और गाढ़ा बनाने के लिए उसे रंगा जाता है. चना छीलने के बाद उसे रंगीन पानी में रखा जाता है. दुकानदार की कही बात की हकीकत जानने के लिए रिपोर्टर ने होरहा लेकर चना निकाला तो उसका कलर हल्का हरा था, वहीं मार्केट में बिक रहा हरा चना एक दम हरा.
वर्जन
केमिलाइज्ड कलर्ड सब्जियों व फलों का लोगों के हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इससे लिवर में प्रॉब्लम होने के साथ ही अन्य कई समस्याएं भी होती हैं. इसलिए केमिकलाइज कलर्ड सामानों को खरीदने से बचना चाहिए.
-डॉ. आशुतोष गुप्ता