- दूसरे विभाग भी वन स्टॉप सेंटर में किए शिफ्ट, ज्यादा स्टाफ के कारण महिलाएं असहज

- गाइडलाइन का हो रहा उल्लंघन, वन स्टॉप सेंटर में नहीं शिफ्ट किए जा सकते दूसरे विभाग

- स्टाफ ज्यादा होने से पीडि़त महिलाओं की प्राइवेसी नहीं, सेंटर आने में झिझक रही हैं महिलाएं

देहरादून।

वन स्टॉप सेंटर में दूसरे विभागों की भीड़ से पीडि़त महिलाओं की प्राइवेसी प्रभावित हो रही है। यहां घरेलू हिंसा या अन्य मामलों में पीडि़त महिलाों को 5 दिन तक शेल्टर दिया जाता है, बाकायदा रहने, खाने, पीने की व्यवस्था भी की जाती है। पीडि़त महिलाएं यहां 5 दिन तक ठहर सकती हैं। लेकिन, गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए वन स्टॉप सेंटर में ही निर्भया सेंटर व वुमेंस हेल्पलाइन 181 का ऑफिस भी शिफ्ट कर दिया गया है। अब यहां तीन विभागों का स्टाफ है, ऐसे में महिलाएं सेंटर में आने और अपनी बात रखने से कतराती हैं।

गाइडलाइन का किया उल्लंघन

सर्वे चौक के पास 48 लाख रुपए में बनाए गए वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया था कि उसमें पैरामेडिकल, वकील, काउंसलर्स के साथ ही पीडि़त महिलाएं और प्रशासनिक अधिकारी रात को ठहर सकें। इन्हीं मानकों के अनुसार बिल्डिंग तैयार हुई थी लेकिन बिल्डिंग के बनते ही 181 महिला हेल्पलाइन के कर्मचारियों की ओर से अपने ऑफिस सुद्धोवाला से मेन शहर में शिफ्ट किए जाने को लेकर दबाव बनाया जाने लगा। इसके बाद पीडि़त महिलाओं के ठहरने के लिए बनाए गए सभी रूम 181 हेल्पलाइन को दे दिए गए। वहीं निर्भया सेल वालों को भी पुलिस थाने में ऑफिस बनाने की वजह से दिक्कत थी। वहां ऑफिस का विस्तार होना था। ऐसे में उन्हें भी वन स्टॉप सेंटर में शिफ्ट कर दिया गया।

काउंसलिंग में दिक्कत

अब ओएससी के सभी कमरे खचाखच भरे हैं। स्थिति ये है कि पीडि़त महिलाओं को काउंसलिंग के लिए वेट करने तक की जगह नहीं मिलती है। ऐसे में एक बेंच बैठने के लिए बाहर लगा दी गई है। जहां महिलाएं बैठकर वेट करती हैं। यही नहीं काउंसलर्स से महिलाओं को अलग से बात करनी हो तो ऐसा अब पॉसिबल होना मुश्किल होता है। क्योंकि हर रूम में तीन से चार कर्मचारी पहले से ही बैठे होते हैं।

एक बिल्डिंग में नहीं हो सकते दूसरे ऑफिस

केंद्र सरकार की गाइडलाइन की बात करें तो इसके अनुसार अन्य महिला संबंधी ऑफिस, हेल्पलाइन आदि वन स्टॉप सेंटर के आसपास तो हो सकते थे। लेकिन, सभी विभागों को एक साथ ही कर दिया गया। ऐसे में पीडि़त महिलाओं के कमरे सेंटर से दूर वर्किंग हॉस्टल में रख दिए गए। भले ही ये एक ही कैंपस में हैं, लेकिन बिल्डिंग अलग-अलग हैं। वहीं सिक्योरिटी गार्ड को दिन में वन स्टॉप सेंटर में तो रात में वर्किंग हॉस्टल में डयूटी देनी पड़ रही है।

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एक तरह के विभाग होने के कारण तीनों विभागों के ऑफिस साथ ही कर दिए गए हैं। ताकि, आसानी से इन्फॉर्मेशंस एक्सचेंज हो सकें।

- रेखा आर्या, राज्य मंत्री, महिला एवं बाल विकास विभाग

Posted By: Inextlive