स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश अधिकारी जेपी सैंडर्स की हत्‍या के दोषी करार दिए गए स्‍वतंत्रता सैनानी शहीदे आजम भगत सिंह को निर्दोष साबित करने के लिए पाकिस्‍तान की एक अदालत बुधवार से मामले की सुनवाई करेगी।


85 साल बाद होगी मामले की सुनवाईभारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक सरदार भगत सिंह को फांसी दिए जाने के करीब 85 साल बाद पाकिस्तान की एक अदालत याचिका के अधार पर इस मामले की सुनवाई शुरू कर रही है। लाहौर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति इजाजुल एहसन ने न्यायमूर्ति खालिद महमूद की अध्यक्षता में एक खंड पीठ बनाई है जो 3 फरवरी से मामले की सुनवाई शुरू करेगी। इस याचिका पर अंतिम सुनवाई मई 2013 में न्यायमूर्ति शुजात अली खान ने की थी। उन्होंने इस मामले को एक बड़े पीठ को सौपने के लिए मुख्यन्याधीश के पास भेज दिया था।भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को एक साथ दी गई थी फांसी
17 दिसंबर 1928 को हुई इस घ्ाटना की सूनवाई के लिए भगतसिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष वकील इम्तियाज राशिद कुरैशी ने नवंबर में लाहौर कोर्ट में याचिका दायर की थी। कुरैशी ने कहा था भगत सिंह एक स्वतंत्रता सैनानी थे। उन्होंने अखंड भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कोर्ट से कहा कि अविभाजित भारत की आजदी के लिए संर्घष करने वाने भगत सिंह को खुद पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने भी श्रद्धांजलि दी थी। वह हमारे भी स्वतंत्रता सैनानी हैं। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह के कारण 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी।

Posted By: Prabha Punj Mishra