पाकिस्तान में कोरोना वायरस के मामले शनिवार को बढ़कर 2708 हो गए हैं। बता दें कि पंजाब प्रांत से सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। यहां 1000 से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं।

इस्लामाबाद (पीटीआई) पाकिस्तान में नए संक्रमण की पुष्टि होने के बाद शनिवार को कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 2,708 हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इस खतरनाक वायरस से देश में मरने वालों की संख्या बढ़कर कुल 40 हो गई है जबकि 13 मरीज गंभीर स्थिति में हैं। मंत्रालय का कहना है कि इस महामारी से 130 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। पंजाब प्रांत से सबसे अधिक 1072 मामले सामने आए हैं, जबकि सिंध में 839, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 343, गिलगित-बाल्टिस्तान (जीबी) में 193, बलूचिस्तान में 175, इस्लामाबाद में 68 और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 11 मामले दर्ज किए गए हैं। देश ने पिछले 24 घंटों के भीतर 258 नए मामले दर्ज किए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा इसे रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बावजूद देश में वायरल संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

सिंध प्रांत में अब तक 14 मौतें

सिंध प्रांत में इस वायरस से 14 मौतें हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह ने सूबे में कोरोना वायरस के मामलों में भारी वृद्धि की संभावना जताई है। शाह ने कहा है कि पिछले 17-18 दिनों में प्रांत भर में कोरोना वायरस के मामलों में 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, 'यह खतरनाक है और अधिक ध्यान केंद्रित करने और महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।' सिंध में मेडिकल स्टाफ और परीक्षण किट के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी भी प्रांत में संकट की गंभीरता को जोड़ रही है। मुख्यमंत्री शाह ने सभी जिला मुख्यालय (डीएचक्यू) अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे अतिरिक्त वेंटिलेटर और अन्य उपकरण प्रदान करें ताकि मरीजों की देखभाल में मदद मिल सके।

डॉक्टरों के लिए उपलब्ध नहीं है सुरक्षा उपकरण

खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कई अस्पतालों में डॉक्टरों और पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के बिना मजबूरन कोरोना वायरस पॉजिटिव रोगियों का सामना करना पड़ रहा है और उनमें से कुछ को पैसा भी नहीं मिला है। नाम न बताने की शर्त पर कुछ डॉक्टरों ने कहा कि वे काम पर बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके काम की गुणवत्ता पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ रहा है। अब्बासी शहीद अस्पताल में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि एक भी डॉक्टर को अस्पताल द्वारा व्यक्तिगत सुरक्षा गियर उपलब्ध नहीं कराया गया है।

Posted By: Mukul Kumar