पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 नवंबर को भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा के लिए ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर का औपचारिक उद्घाटन किया। लेकिन इस वक्त ऐसी खबर आई है जिससे यह साबित होता है पीएम इमरान खान अपने देश में धार्मिक कट्टरता और बर्बरता पर अंकुश लगाने में सक्षम नहीं हैं।


इस्लामाबाद (एएनआई)। सिख श्रद्धालुओं को बिना वीजा के गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने की अनुमति देने के लिए करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन करने के बावजूद प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश में धार्मिक कट्टरता और बर्बरता पर अंकुश नहीं लगा पाए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक इस्लामिक धर्मगुरु को यह कहते हुए देखा गया कि पाकिस्तान का गठन किसी भी सिख को देश में प्रवेश नहीं देने के लिए किया गया था। इस्लाम के विद्वान खादिम हुसैन रिजवी को वीडियो में सिख तीर्थयात्रियों को करतारपुर गुरुद्वारे में जाने की सुविधा के बारे में बात करते हुए सुना गया है।पवित्र शब्द से हुआ है पाकिस्तान का निर्माण
खादिम हुसैन रिजवी ने कहा, 'पाकिस्तान का निर्माण इस्लाम में 'पाक' या पवित्र शब्द से हुआ है। सिखों की गंदी आदतों को यहां अनुमति नहीं दी जाएगी।' बता दें कि खादिम रिजवी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के संस्थापक हैं, इस धार्मिक-राजनीतिक संगठन का गठन 2015 हुआ था। इसे पाकिस्तान के ईश निंदा कानून में किसी भी बदलाव के विरोध में प्रदर्शन के लिए खास तौर से जाना जाता है। उनके कुछ विरोध बड़े पैमाने पर हुए हैं।

Kartarpur Corridor पर पाक का एक और यू-टर्न, तीर्थयात्रियों को शनिवार से चुकाना होगा 20 डॉलर का शुल्क


पाकिस्तानी मौलवी ने कहा, अमृतसर जा सकते हैं सिख
खादिम ने कहा, 'हमारी भूमि में केवल मक्का और पैगंबर को पवित्र माना जाता है। सिख चाहें तो तीर्थ यात्रा के लिए अमृतसर जा सकते हैं, लेकिन उन्हें यहां नहीं आना चाहिए।' कनाडाई टैग टीवी के एक टॉक शो के विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि वीडियो एक और पुष्टि करता है कि पीएम इमरान खान ने भारत में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ इसका इस्तेमाल करने के लिए सिख भावना को खरीदने का प्रयास किया है और खालिस्तान के अलगाववादी आंदोलन को भी हवा दी है। बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर भारत के पंजाब में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले में स्थित करतारपुर में दरबार साहिब से जोड़ता है। भारत और पाकिस्तान के बीच इस कॉरिडोर को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है, जो भारतीय तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा दरबार साहिब में वीजा-मुक्त यात्रा करने की अनुमति देता है। यह समझौता प्रतिदिन 5,000 भारतीय तीर्थयात्रियों को गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने की अनुमति देता है, जहां गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।

Posted By: Mukul Kumar