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PATNA : पटना में चल रहे प्रकाश उत्सव में पंजाब से ही नहीं, बल्कि पूरे देश से सिख श्रद्धालु आए हैं। एक जत्था ग्वालियर के किले से आया है। वहां से आए करीब ख् हजार संगत पंजाब के गुरुद्वारे के साथ मिलकर गांधी मैदान टेंट सिटी में लंगर चला रहे है। लंगर की सेवा में आए श्रद्धालुओं ने आई नेक्स्ट से किले स्थित गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में रोचक बातें बताईं।

एक साथ पांच हजार श्रद्धालु चख रहे यहां का लंगर

ग्वालियर से आए हरमिंदर सिंह बताते हैं कि गांधी मैदान में लगे तीन लंगर में से एक लंगर दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारे का है। यहां एक साथ भ् हजार लोग लंगर चख सकते हैं। लंगर के लिए सामान ट्रकों में भरकर ग्वालियर से लाया गया है। जत्थे के साथ आए अधिकतर लोग ग्वालियर में खेती करते हैं।

किले पर बनाया गुरुद्वारा

हरमिंदर सिंह गुरुद्वारा के इतिहास के बारे में बताते है कि गुरु हरगोविंद देव की याद में वर्ष क्970 में गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ बनाया गया। उन्होंने अपने साथ कई और कैदियों को रिहा करवाया था, इसलिए उनकी दयानतदारी की याद बनाए रखने के लिए ग्वालियर किले पर उस स्थान पर एक गुरुद्वारा स्थापित कराया गया। इस किले में गुरू हरगोविंद साहिब भ्ख् राजाओं के साथ कैद रहे थे। गुरु के नाम पर इसका नाम भी गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ साहिब रखा गया। यह देश भर के सिखों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ म्वें सिख गुरु हरगोविंद साहिब का स्मारक है। इतिहास के अनुसार राजा जहांगीर ने गुरु गोविंद साहिब को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। उन्हें लगभग दो साल तक कैद रखा गया। जब उन्हें कैद से मुक्तकिया गया तो उन्होंने अपने साथ भ्ख् कैदियों को छोड़ने को कहा। जहांगीर ने आदेश दिया कि जो भी गुरु का जामा पहनेगा उसे छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने ऐसा जामा बनवाया जिसके भ्ख् छोड़ थे। सभी राजा उसे पकड़ बाहर आ गए।

सपने में मिला छोड़ने का आदेश

किंवदंतियों के मुताबिक गुरु हरगोविंद को कैद किए जाने के बाद से जहांगीर को स्वप्न में किसी फकीर से गुरू को आजाद करने का हुक्म मिलने लगा। जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगे। इसी दौरान मुगल शहंशाहों के किसी करीबी फकीर ने मशविरा दिया कि वह गुरु हरगोविंद साहब को तत्काल रिहा कर दे। लेकिन गुरु अड़ गए कि उनके साथ भ्ख् राजाओं को भी रिहा किया जाए।

Posted By: Inextlive