मोदी के जयापुर गांव का सोलर लैंप चोरी, शौचालय बनाया गोबर स्टोर
विकास से दूर मोदी का गांव
उत्तर प्रदेश के जयापुर गांव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में गोद लिया था। इसके बाद इस गांव को कई सुविधायें दी गयी और विकास के लिए कई कदम भी उठाये गए। यहां पर एक बेहतरीन बस अड्डा बना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत एक सार्वजनिक शौचालय का भी र्निमाण किया गया। गांव को रोशन रखने के लिए सोलर लैम्प लगवाये गए और पानी उपलब्ध करवाने के लिए पानी की मोटर भी लगी। गांव के विकास के नाम पर ये सब कुछ हुआ पर आज का सच ये है कि ये गांव विकास से बेहद दूर है और तमाम सुविधायें गायब हैं।
सोलर लैंप चोरी, शौचालय बना कंडे रखने का ठिकाना
जयापुर गांव के बस अड्डे का आधुनिकीकरण करते हुए यहां पर छत डाल कर लोहे की राडस से वेल्डिंग करके बेंचेज लगाई गयी थीं। ये तमाम बेंचे या तो अपने जोड़ से खोल कर गायब कर दी गयी हैं या भी जुआरियों के मनोरंजन के काम आ रही हैं। स्वच्छ भरत अभियान के तहत बने सार्वजनिक शौचालय का दरवाजा टूट चुका है और वहां गोबर सुखाने और जलाने की लड़की रखने का काम किया जा रहा है। गांव में रोशनी फैलाने के लिए जो सोलर लैम्प लगे थे वो 65 परिवारों को पानी उपलब्घ कराने की मोटर सहित चोरी हो चुके हैं।
इस बारे में जब गांव वालों से बात की तो बस अड्डे की बेंचे टूटने का इल्जाम तो उन्होंने मैटीरियल की घटिया क्वालिटी पर मड़ दिया। जबकि सोलर लैम्प और पानी की मोटर की चोरी को लेकर गांव प्रधन का कहना था कि वो खुद नहीं समझ पा रहे कि ऐसी मानसिकता के लोगों का क्या किया जाए। शैचालय के इस्तेमाल पर गांव के कुछ निवासियों का कहना है कि खुले में शौच जाना ज्यादा सुविधा जनक है और पानी का इस्तेमाल भी कम होता है।
केवल 20 प्रतिशत शौचालय हैं इस्तेमाल में
स्वच्छ भारत अभियान के कारण प्रधानमंत्री की संसदीय क्षेत्र बनारस से करीब 30 किलोमीटर दूर इस गांव को एक आर्दश गांव के माडल के रूप में विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री ने गोद लिया था। अब ये गांव कुछ लोगों की खराब मानसिकता और कुछ प्रशासन की लापरवाही का शिकार हो चुका है। गांव में बायो टायलेट सहित करीब 400 शौचालय बनाये गये थे। इसमें से सिर्फ 20 प्रतिशत ही किसी हद तक प्रयोग करने लायक बचे हैं। बाकी में से दरवाजों और पानी की टोंटियों सहित बाकी तमाम टायलेट फिटिंग्स चोरी हो चुकी हैं।