- सूबे के ग्राम प्रधानों का एक माह से चल रहा था आंदोलन

- राज्य वित्त में कटौती किए जाने से थे नाराज, तीन दिन पहले हजारों प्रधानों ने सौंपे थे इस्तीफे

>DEHRADUN: राज्य वित्त में ग्राम पंचायतों के बजट में कटौती किए जाने के आरोप को लेकर एक माह से आंदोलनरत ग्राम प्रधान संगठन उत्तराखंड ने पंचायतीराज मंत्री से वार्ता के बाद आंदोलन स्थगित करने का निर्णय लिया है। तीन दिन पहले सूबे के साढ़े चार हजार से अधिक ग्राम प्रधानों ने सरकार को सामूहिक इस्तीफे भी सौंपे थे।

घंटों चली मंत्री के साथ बैठक

शुक्रवार को विधानसभा में पंचायती राज मंत्री अरविंद पांडे से संगठन के प्रतिनिधिमंडल की तीन घंटे से ज्यादा वक्त तक वार्ता हुई। शुरुआत में बात नहीं बनी तो एक बार वार्ता विफल होने के कगार पर पहुंच गई और संगठन के पदाधिकारी मंत्री के कक्ष से बाहर भी आ गए। लेकिन फिर से संगठन के पदाधिकारियों को भीतर बुलाया गया। वार्ता सफल रहने के बाद संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गिरवीर सिंह परमार ने प्रेस क्लब में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य वित्त की धनराशि में कटौती नहीं करने, प्रधानों का मानदेय बढ़ाने, पंचायतीराज अधिनियम को लागू करने, मनरेगा के तहत अविलंब भुगतान की मांग को लेकर वार्ता हुई। बदले में मंत्री अरविंद पांडे ने हर मांग पर शीघ्र कार्रवाई करने का भी भरोसा दिया है।

एक महीने का दिया समय

प्रदेश अध्यक्ष गिरवीर सिंह परमार ने कहा कि मंत्री ने पंचायतीराज निदेशक को अधिनियम की नियमावली भी जल्द तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वहीं अपर सचिव पंचायतीराज हरीश चंद्र सेमवाल को प्रधानों के मांग पत्र की व्यक्तिगत रूप से मॉनिटरिंग करने के लिए मंत्री ने आदेश दिए हैं। प्रधान संगठन के प्रदेश महामंत्री रितेश जोशी ने कहा कि पंचायती राज मंत्री के आश्वासन के बाद एक माह के भीतर उनकी मांगों पर कार्रवाई पूरी नहीं हुई तो फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस मौके पर प्रधान संगठन के उपाध्यक्ष विकास शर्मा, जिलाध्यक्ष कुंदन सिंह बोरा के अलावा ग्राम प्रधान संगठन के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive