Patna : कंट्री के ऐसे कुछ प्रीमियर यूनिवर्सिटीज हैं जो अपने लेवल पर भी रिसर्चर्स को फेलोशिप देती हैं. लेकिन पटना यूनिवर्सिटी की बात करें तो अपने लेवल से तो दूर अपनी गलतियों की वजह से यूजीसी द्वारा दिया जाने वाला फेलोशिप भी स्टूडेंट्स को प्रोवाइड नहीं करा पा रहा है.


पीयू में राजीव गांधी नेशनल फेलोशिप से जुड़ा एक मामला सामने आया है। इस फेलोशिप के तहत एससी व एसटी कैटेगरी के डिजर्विंग कैंडिडेट्स को हर महीने 16 हजार रुपए रिसर्च वर्क के लिए दिए जाते हैं। यह फेलोशिप रिसर्चर्स को यूजीसी यूनिवर्सिटी के माध्यम से देती है।गलत साइन से फंसा फंड


पीयू में डिफरेंट सब्जेक्ट्स में रिसर्च कर रहे एससी व एसटी कैटेगरी के 50 सेलेक्टेड स्टूडेंट्स को दो सालों से स्कॉलरशिप नहीं मिल पा रहा है। रीजन, फेलोशिप से रिलेटेड अप्लीकेशन रजिस्ट्रार की जगह एफओ के सिग्नेचर से भेजा तो रद्द कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार ऐसा एक बार नहीं दो बार हुआ है। पहली बार 33 और दूसरी बार में 17 रिसर्चर्स के नाम अप्लीकेशन के साथ भेजे गए थे। इस संबंध में हिस्ट्री में रिसर्चर राजीव सिंह ने बताया कि इस गलती के बाद यूजीसी की ओर से कहा गया कि पीयू अपनी गलती सुधार कर फिर से अप्लीकेशन भेजे।जून में भेजा गया अप्लीकेशन

फेलोशिप नहीं मिलने के कारण रिसर्चर्स परेशान हैं। वह सही से रिसर्च वर्क नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि एक ओर वे पटना में रहने-खाने का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं तो दूसरी ओर रिसर्च से रिलेटेड फील्ड विजिट भी नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि उनके लिए आशा की एक किरण यह है कि बीते 15 जून, 2013 को पीयू ने करेक्शन के साथ यूजीसी को फिर से अप्लीकेशन भेज दिया है। जिसके साथ दो सालों का यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट भी साथ भेजा गया है।कोटइस बार सही फॉर्मेट और सही ऑफिशियल के सिग्नेचर के साथ भेजा गया है। वैसे कई मामलों में यूजीसी की ओर से भी पैसा देर से आता है। हमारी कोशिश है कि जल्द-से-जल्द स्टूडेंट्स को उनका बकाया फेलोशिप अमाउंट मिल जाए।डॉ। संजय कुमार सिन्हा, डेपलपमेंट ऑफिसर, पीयू

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