-लखनऊ के रहने वाले थे तीनों दोस्त, एक ही कॉलेज में पढ़ते थे

-एक का कानपुर में ननिहाल है, उसके कहने पर दोनों दोस्त कानपुर आए थे

-नहाते हुए गहरे पानी में चले गए, एक दूसरे को बचाने में तीनों डूब गए

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : फीलखाना के गुप्तार घाट में थर्सडे को गंगा नहाने गए तीन दोस्त गहरे पानी में डूब गए। घाट पर मौजूद लोगों के शोर मचाने पर गोताखोर गंगा में तो कूद गए, लेकिन वे उनको बचा नहीं पाए। वे काफी मशक्कत के बाद दो की लाश को बाहर निकाल पाए, जबकि तीसरे का अभी कुछ पता नहीं चला है। माना जा रहा है कि वो गंगा के बहाव में बह गया है। उसको ढूढ़ने के लिए फ्राइडे को गोताखोरों को दोबारा गंगा में उतारा जाएगा। इधर, बच्चों की मौत का पता चलते ही उनके घरों में कोहराम मच गया।

यशोदा नगर में ननिहाल आया था

लखनऊ में रहने वाले अजय श्रीवास्तव रेलवे कर्मी हैं। उनके परिवार में पत्नी ममता, दो बेटे ऋषभ और मयंक (19) थे। जिसमें मयंक बीए का स्टूडेंट था। मयंक का ननिहाल कानपुर के यशोदानगर में है। दशहरा और मोहर्रम की वजह से बुधवार से उसका कॉलेज बंद हो गया था। उसने दोस्त अभिषेक और शांतनु के साथ छुट्टी में गंगा के किनारे पिकनिक और परेड का दशहरा मेला घूमने की प्लानिंग की थी। जिसके लिए वो बुधवार को ननिहाल आ गया। उसने शाम को घर लौटने के लिए कहा था, लेकिन वो दशहरा का मेला घूमने के बहाने से ननिहाल में रुक गया। थर्सडे को अभिषेक और शांतनु भी कानपुर आ गए। वे सीधे मयंक के ननिहाल पहुंच गए। वहां से तीनों घूमने के बहाने घर से निकलकर गुप्तार घाट पहुंच गए। तीनों नाव से गंगा के उस पार चले गए। वहां पर कुछ देर रुकने के बाद तीनों नहाने के लिए गंगा में उतर गए।

मदद को कोई नहीं आया

मयंक नहाते हुए गहरे पानी में जाकर डूबने लगा। जिसे देख अभिषेक और शांतनु उसको बचाने के लिए गहरे पानी में चले गए। जिससे वे उसको बचाने के बजाय खुद डूबने लगे। वे मदद के लिए शोर मचाने लगे, लेकिन गंगा के उस पार घाट पर सन्नाटा होने से कोई मदद के लिए नहीं आया। इस पार से लोगों ने उनको डूबते देख गोताखोरों को बताया तो वे उनको बचाने के लिए गंगा में कूद गए। गोताखोरों के स्पॉट पर पहुंचने से पहले तीनों गंगा के गहरे पानी में समा गए। गोताखोर कड़ी मशक्कत के बाद मयंक और अभिषेक की लाश को बाहर निकाल पाए, जबकि शांतनु का कुछ पता नहीं चल पाया।

आज फिर उतरेंगे गोताखोर

सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची, पुलिस ने घाट के किनारे मृतक के कपड़ों से मिले मोबाइल से परिजनों को उनके डूबने की जानकारी दी। आनन-फानन में परिजन लखनऊ से कानपुर आए। एसओ रूप कृष्ण त्रिपाठी ने बताया कि अभिषेक और मयंक के शव को निकाला जा चुका है। देर शाम तक गोताखोर गंगा में शांतनु को ढूढ़ते रहे, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। अब गुरुवार को दोबारा गोताखोरों को गंगा में उतारा जाएगा।

मौत के पहले ली थी सेल्फी

मंयक, अभिषेक और शांतनु गहरे दोस्त थे। तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। तीनों ने घाट पर पहुंचने के बाद अलग- अलग मूमेंट की सेल्फी ली। तीनों ने नाव में भी बैठकर सेल्फी ली थी। इसके बाद उन्होंने सारी फोटो को फेसबुक में अपलोड की थी। उन्हें क्या पता था कि ये उनकी जिन्दगी की आखिरी सेल्फी होगी। परिजनों ने जैसे ही मोबाइल पर बच्चों की आखिरी सेल्फी देखी तो उनका कलेजा फट गया। वे दहाड़े मारकर रोने लगे।

परिजनों से करानी पड़ी बात

पुलिस ने घाट पर मिले मोबाइल से अभिषेक और मयंक के परिजनों तो कॉल कर जानकारी दे दी, लेकिन वे शांतनु के घरवालों का नंबर खोज नहीं पाए। देर शाम तक शांतनु के परिजनों का नम्बर पता चलने पर पुलिस ने उनको कॉल की, लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मजाक न करो। उनको विश्वास दिलाने के लिए पुलिस को अभिषेक और मयंक के परिजनों से बात करानी पड़ी।

भइया अब और नहीं ढूढ़ पाएंगे

गोताखोरों ने करीब तीन घंटे गंगा तैरते हुए किशोरों को ढूंढ़ा। उन्होंने दो लाश को तो बाहर निकाल लिया, लेकिन इसके बाद वे गंगा में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। पुलिस ने उसको फिर से गंगा में उतरने के लिए कहा तो वे बोले कि भइया अब ताकत नहीं बची है। अब चाहे किसी को बुला लो हम लोग गंगा में नहीं उतरेंगे। पूरा शरीर थकावट से चूर हो गया है।

Posted By: Inextlive