सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पीएसयू से एजीआर की मांग अनुचित है। 4 लाख करोड़ रुपये के एडजेस्टेड ग्राॅस रेवेन्यू एजीआर की यह डिमांड डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकाॅम डाॅट कर रही थी।

नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डाॅट द्वारा पीएसयू से एजीआर की मांग अनुचित है। उसे इस पर पुनः विचार करना चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने पीएसयू से एजीआर की मांग पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर उसके फैसले को गलत ढंग से लिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एजीआर को उस प्रकार से लागू नहीं किया गया है जैसा फैसले में है।

कोर्ट ने कहा पीएसयू में एजीआर की मांग पूरी तरह अनुचित

पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से एजीआर की मांग पूरी तरह अनुचित है। डाॅट की ओर से साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता अदालत में पेश हुए। कोर्ट से जवाब तलब किए जाने पर उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में एक शपथ पत्र दाखिल करके बताएंगे कि पीएसयू से एजीआर की मांग क्यों की गई है। बेंच ने निजी टेलीकाॅम ऑपरेटरों से शपथ पत्र दाखिल करके विस्तार से यह बताने को कहा है कि वे बकाया एजीआर का भुगतान किस प्रकार से करेंगे।

निजी कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए लगाई थी लताड़

18 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय एयरटेल, वोडाफोन आईडिया और अन्य मोबाइल फोन संचालकों को लताड़ लगाते हुए खुद से अनुमानित 1.6 करोड़ रुपये एजीआर का ब्याज व जुर्माना सहित भुगतान करने का आदेश दिया था। कंपनियों को दोबारा असेसमेंट करने की इजाजत देने पर सुप्रीम कोर्ट ने डाॅट से नाराजगी जताई और कहा कि 24 अक्टूबर, 2019 को कोर्ट द्वारा सुनाये गए फैसले के मुताबिक रेवेन्यू की गणना अंतिम मानी जाएगी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh