-बिना सुरक्षा के चल रहा है फ्लाईओवर निर्माण, ऊपर शटरिंग जोड़ने के दौरान नीचे नहीं था बचाव का इंतजाम

-डग्गामार वाहनों के चलते नहीं हो पा रही थी बैरिकेडिंग, हादसे के बाद फिर से जागा प्रशासन

यदि आप कैंट रोड से गुजरते हैं तो सावधान हो जाइये। खासकर निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे से जाते हुए। क्योंकि पुल से कब शटरिंग या कोई भारी चीज नीचे गिर जाये कहा नहीं जा सकता। क्योंकि इस फ्लाईओवर निर्माण में सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है। लापरवाहियों की लिस्ट लंबी है। इसलिए आप सेतु निगम के भरोसे अपनी सुरक्षा के बारे में सोचियेगा भी मत। आपको जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि डेढ़ साल के अंदर तीन बार हादसा हो चुका है। बावजूद इसके अब भी न तो कर्मचारी सुरक्षा उपकरणों के साथ काम कर रहे हैं और न ही बचाव के साथ शटरिंग आदि हो रही है। इसी का नतीजा रहा कि शुक्रवार को हादसा हो गया। जिसमें एक व्यक्ति को गंभीर चोटें आयी। आज हम आपको बता रहे हैं पुल निर्माण में बरती जा रही लापरवाही की पूरी कहानी।

लकीर पीटने का काम शुरू

सेतु निगम के अधिकारियों ने कभी यह भी ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई कि बीम रखने और शटरिंग आदि कार्य को किस मानक से किया जा रहा है। शटरिंग के दौरान जेई या एई आदि की मौजूदगी जरूरी होता है लेकिन यहां तो सिर्फ सुपरवाइजर के भरोसे पूरे शटरिंग कार्य को छोड़ दिया गया। जिला प्रशासन ने भी कभी सुध नहीं ली। यदि यह ध्यान दिया जाता तो शायद इतनी लापरवाहियां नहीं होती। घटना भले ही छोटी हुई हो लेकिन यदि किसी रिक्शा, आटो या कार सवार पर लोहे की शटरिंग गिरता तो फिर डेढ़ साल पहले हुई घटना दोहरा गयी होती। सेतु निगम के अधिकारियों की ओर से तर्क यह भी दिया जा रहा है कि सड़क पर बैरिकेडिंग नहीं होने के चलते निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा था। फ्लाईओवर के नीचे प्राइवेट वाहनों का स्टैंड होने के चलते भी दिक्कत आ रही है। इन्हें हटाने को लेकर अधिकारियों से शिकायत भी की गई है। हादसे के बाद पिलर संख्या 61 से लेकर घटना वाले स्थान पिलर संख्या 64 तक बैरिकेडिंग लगा दी गई।

जांच टीमों ने किया दौरा

निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाइओवर की शट¨रग गिरने के मामले में शनिवार को जांच टीमें दौड़ती दिखाई दीं। सुबह कमिश्नर के निर्देश पर गठित जांच टीम के सदस्य मौके पर पहुंचे। इसमें लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता एसके अग्रवाल व दो अन्य विभागों के अधीक्षण अभियंता शामिल थे। वहीं दोपहर बाद सेतु निगम की तीन सदस्यीय जांच टीम भी मौके पर पहुंची। इसमें गाजियाबाद इकाई के महाप्रबंधक आशीष श्रीवास्तव, गोरखपुर के मुख्य परियोजना प्रबंधक गोविंद और प्रयागराज के मुख्य परियोजना प्रबंधक आरके सिंह शामिल थे।

हादसे का दिखा असर

पीडब्ल्यूडी की टीम ने बोल्ट टूटने को मुख्य कारण बताया। इसके लिए काम कर रहे मजदूरों के बयान लेने के साथ ही तैनात अवर अभियंता से भी पूछताछ हुई। टीम ने अपनी जांच में कार्य को जगह व जरूरत के मुताबिक यातायात ब्लाक लेकर ही करने के निर्देश दिए। साथ ही शट¨रग के कार्य के समय एक अभियंता की तैनाती करने को भी कहा। टीम के एक सदस्य ने बताया कि शट¨रग व ढलाई का काम नाजुक माना जाता है। ऐसे में इस काम के समय सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। वहीं घटना स्थल पर शुक्रवार के हादसे का असर दिखाई दिया। पिलर संख्या 61 से लेकर घटना वाले स्थान पिलर संख्या 64 तक बैरिकेडिंग लगा दी गई। हालांकि इस हिस्से में काम नहीं हुआ। इस दौरान आस-पास की दुकानें भी बंद दिखाई दीं।

Posted By: Inextlive