Shardiya Navratri 2021 : जानें क्या है कलश स्थापना करने का शुभ मूहुर्त, जानें महासप्तमी, महाअष्टमी व महानवमी पूजन का मुहूर्त
पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Shardiya Navratri 2021 : नवरात्रि का पर्व 7 अक्टूबर से शुर हो रहा है। शास्त्रानुसार घटस्थापना एवं देवी पूजा प्रातः काल चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग रहित आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में की जानी चाहिए परंतु यदि आश्विन शुक्ल प्रतिपदा माध्यान्ह तक चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग से रहित न मिले तो ऐसी स्तिथि में अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना की जानी चाहिए अर्थात सूर्योदय के बाद 10 घड़ी तक अथवा मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त में करने का विधान है।प्रतिपदा की 16 घड़ियां तथा चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का पूर्वार्द्ध भाग नवरात्रारम्भ के लिए निषिद्ध माना गया है।इस बार 7 अक्टूबर 2021,गुरुवार को प्रातः काल चित्रा नक्षत्र 21:13 तक एवं वैधृति योग 25:39 तक है।इस दिन चित्रा नक्षत्र का पूर्वार्द्ध प्रातः काल 10:17 बजे तक तथा वैधृति योग का पूर्वार्द्ध 15:25 तक है। अभिजित मुहूर्त 11:46 से 12:32 तक है।अतः उपरोक्त शास्त्रनुसार अशुभ नक्षत्र एवं योग होने पर भी अभिजित मुहूर्त में ही नवरात्रारम्भ,घटस्थापना करना शुभ रहेगा। इस वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारम्भ दिनांक 7 अक्टूबर 2021,गुरुवार से हो रहा। इस दिन प्रतिपदा तिथि 13:46 तक' रहेगी परन्तु इस दिन चित्रा नक्षत्र 21:12 तक' है।
सरस्वती आवाहन:-(11अक्टूबर 2021,सोमवार )
कुमार योग/रवि योग में करें सरस्वती आवाहन-- यह आश्विन मास के शुक्लपक्ष के मूल नक्षत्र के प्रथम पाद में दिन में मनाया जाता है।यदि मूल नक्षत्र सूर्यास्त से पूर्व तीन मुहूर्त से कम हो या प्रथम पाद रात्रि में विधमान हो तो आवाहन दूसरे दिन के समय में किया जाता है। इस दिन सरस्वती आवाहन 'माध्यान्ह 12:56 से आरम्भ होगा।
महासप्तमी/सरस्वती पूजन:-(12 अक्टूबर 2021,मंगलवार) इस दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम पाद में सरस्वती पूजन करने का विधान है। इस दिन सरस्वती पूजन पूर्वाह्न 11:26 से आरम्भ होगा। अन्नपूर्णा परिक्रमा रात्रि 9:48 बजे से आरम्भ होगी।
महाअष्टमी/दुर्गाष्टमी/सरस्वती बलिदान-(13 अक्टूबर 2021,बुधवार)
सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल अष्टमी को श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाती है।यह अष्टमी सूर्योदय बाद कम से कम एक घटी व्यापिनी तथा नवमी तिथि से युक्त होना चाहिए।सप्तमीयुता अष्टमी को सर्वथा त्याग देना चाहिए।अतः यह तिथि 13अक्टूबर 2021,बुधवार को सूर्योदयान्तर एक घटी तक विधमान होने से इस दिन ही श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।यदि अष्टमी एक घटी से पूर्ण समाप्त हो या नवमी का क्षय हो तो पहले दिन मनाई जाती है। यदि अष्टमी दो दिन सूर्योदय व्यापिनी हो या न हो तो दोनो ही स्थिति में यह पहले ही दिन मनाई जाती है। इस दिन अन्नपूर्णिमा परिक्रमा रात्रि 8:08 बजे समाप्त होगी।
महानवमी:-(14 अक्टूबर 2021,गुरुवार)
आश्विन शुक्ल नवमी के दिन महानवमी होती है।यह दो प्रकार से मनाई जाती है:- 1-पूजा एवं उपवास हेतु। '2-बलिदान हेतु।' पूजा-उपवास के लिए नवमी अष्टमी विद्दा तथा जो सम्पूर्ण सांय काल को व्याप्त करे,ली जाती है, जबकि बलिदान हेतु नवमी दशमी विद्दा ली जाती है।इस दिन 14 अक्टूबर 2021 को महानवमी का व्रत, हवन, आयुध पूजा,महानवमी कुमारी पूजा,उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में सरस्वती देवी के निमित्त बलिदान आदि होगी तथा श्रवण नक्षत्र में सरस्वती विर्सजन होगा। श्रवण नक्षत्र प्रातः काल 9:35 बजे के बाद लगेगा पूरे दिन रात रहेगा।
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