-शंकरगढ़ में फर्जी रवन्ना बनाने वाला शातिर गिरफ्तार

-घूरपुर इंस्पेक्टर ने दबोचा, खरीदने वाले ट्रक मालिकों की तलाश जारी

PRAYAGRAJ: कम्प्यूटर और मोबाइल बनाने की दुकान चलाने वाला दिलीप कुमार उर्फ लवकुश विश्वकर्मा रातों रात लखपति बनने का ख्वाब देखने लगा। सपने को पूरा करने के लिए उसने शार्टकट रास्ता पकड़ लिया। कम्प्यूटर पर एडिड कर खनन का फर्जी रवन्ना तैयार करने लगा। दौलत की भूख मिटाने के लिए वे गुनाह के इस दलदल में बढ़ता चला गया। तैयार जाली रवन्ने को वह बालू, गिट्टी और सिल्का सेंट के कारोबारियों को बेचना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पता चला तो कई खनन का अवैध घाट चलाने वाले लोग उसके नेटवर्क में आ गये। ढुलाई करने वाले ट्रक के कई मालिक भी उससे जुड़ गए। घूरपुर इंस्पेक्टर व स्वाट टीम प्रभारी ने गिरफ्तार किया तो इस काले कारनामे की पोल खुलते देर नहीं लगी।

एएसपी ने किया खुलासा

पुलिस लाइंस सभागार में रविवार को एएसपी अनिल कुमार यादव ने मामले का पर्दाफाश किया। बताया कि दिलीप शंकरगढ़ एरिया स्थित बेनीपुर गांव निवासी स्व। हरिशंकर विश्वकर्मा का बेटा है। पिता की मौत के बाद उसने क्षेत्र के शिवराजपुर चौराहे पर कम्प्यूटर और मोबाइल बनाने की दुकान खोल ली। दुकान में मेहनत की कमाई से उसे संतोष नहीं हो रहा था। दौलत की भूख उसे गुनाह की दुनिया में खींच ले गई। उसने कम्प्यूटर पर फर्जी रवन्ना तैयार करने का शातिराना काम शुरू कर दिया। उसके जरिए तैयार रवन्ने से सरकार के खजाने को चोट पहुंचे लगी, क्योंकि बालू, गिट्टी और सिल्का सेंट का व्यापार करने वाले उससे औने पौने दाम में रवन्ना लेने लगे। बनाए गए फर्जी रवन्ने की बिक्री शुरू हुई तो दौलत की बरसात होने लगी। मगर गुनाह का यह वृक्ष उसे बहुत दिनों तक फल नहीं दे सका। मुखबिर द्वारा इस बात की खबर स्वाट टीम प्रभारी को मिल गई। उन्होंने दिलीप को उसकी दुकान से न सिर्फ गिरफ्तार किया बल्कि 200 से अधिक तैयार किया गया फर्जी रवन्ना भी बरामद कर लिया। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि रवन्ने की खरीदारी उससे ट्रक मालिक शिवम सिंह, प्रिंस सिंह उर्फ विजयशंकर सिंह निवासीगण शंकरगढ़ व ज्ञान तिवारी निवासी शवराजपुर शंकरगढ़ सहित तमाम लोग लिया गया करते थे। प्रकाश में आए तीनों ट्रक मालिक घर छोड़ कर भागे हुए हैं। पुलिस को इनकी शिद्दत से तलाश है।

इस तरह बनाता था फर्जी रवन्ना

-असली रवन्ना का एक पीडीएफ तैयार कर रख लेता था।

-इसी पीडीएफ से कम्प्यूटर या लैपटॉप में पेंट साफ्टवेयर में खोलता था।

-इस साफ्टवेयर के जरिए असली रवन्ने में पर वाहन संख्या, दिनांक वजन, चालक व व्यापारी का नाम चेंज कर देता था।

-यहां तक कि इन नामों को वह बगैर क्यूआर कोड में छेड़छाड़ किए बदल देता था।

-इसके बाद प्रिंट निकालकर वाहन चालक या स्वामी के हाथ बेच देता था।

-पकड़े जाने के बाद पुलिस ने क्यूआर कोड की मिलान करवाई तो फ्रॉड सामने आ गया।

Posted By: Inextlive