- श्री गुरु राम राय ने दून में डाला था डेरा

- औरंगजेब ने दी थी महाराज जी को हिंदू पीर की उपाधि

DEHRADUN: भारत देश में अनेक महात्मा हुए। उन महात्माओं ने समाज और देश को बहुत कुछ दिया। दून को भी एक ऐसा महात्मा मिला, जिसने द्रोणनगरी को अपनी तपस्थली बना लिया और दून को वो सब दिया जिसकी इसे जरूरत थी। हम बात कर रहे हैं श्री गुरु राम राय की। सन क्म्ब्म् को पंजाब में जन्मे गुरु राम राय में बचपन से ही अलौकिक शक्तियां थीं। इन्होंने अल्पायु में ही असीम ज्ञान अर्जित कर लिया था। शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को नई पहचान दी। उनके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यो के कारण समाज को नई दिशा मिली। शिक्षा ऐसे महान पितृ के ऋण को शायद ही कोई चुका पाए। श्री गुरु राम राय महाराज आई नेक्स्ट आपको शत् शत् नमन करता है।

भ्रमण करते-करते यहां पहुंचे

गुरु राम राय महाराज सातवीं पातशाही (सिक्खों के सातवें गुरु) श्री गुरु हर राय के पुत्र थे। औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे। औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी। औरंगजेब महाराज से काफी प्रभावित था। छोटी सी उम्र में वैराग्य धारण करने के बाद वह संगतों के साथ भ्रमण पर चल दिए। वह भ्रमण के दौरान ही देहरादून आए थे। जब महाराज जी दून पहुंचे तो खुड़बुड़ा के पास उनके घोड़े का पैर जमीन में धंस गया और उन्होंने संगत को रुकने का आदेश दिया। अपने तीर कमान से महाराज जी ने चारों दिशाओं में तीर चलाए और जहां तक तीर गए उतनी जमीन पर अपनी संगत को ठहरने का हुक्म दिया।

डेरादून से बना देहरादून

दून पहुंचने पर औरंगजेब ने गढ़वाल के राजा फतेह शाह को उनका पूरा ख्याल रखने का आदेश भी दिया। उन्होंने यहां डेरा डाला इसलिए दून का नाम पहले डेरादून और फिर बाद में देहरादून पड़ गया। उसके बाद से आज तक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के नाम से ही जानी जाती है।

महंत प्रथा शुरू हुई

महाराज जी की चार पत्‍ि‌नयां थीं, लेकिन पुत्र किसी भी पत्‍ि‌न से नहीं थे। महाराज जी क्म्87 में अंतरध्यान हो गए। उनके बाद सबसे छोटी रानी पंजाब कौर ने उनकी जगह पूरा कार्यभार संभाला, पूरा कार्य संभालने के बावजूद वह कभी महाराज जी की गद्दी पर नहीं बैठीं। छोटी रानी ने पूरी उम्र दीन दुखियों की सेवा में लगा दी। माता पंजाब कौर ने चेला प्रथा शुरू की और पहला महंत श्री महंत औद दास जी को बनाया। दूसरे श्री महंत हर प्रसाद जी, तीसरे श्री महंत हर सेवक जी, चौथे श्री महंत स्वरूप दास जी, पांचवें श्री महंत प्रीतम दास जी, छठवें श्री महंत नारायण दास जी, सातवें श्री महंत प्रयाग दास जी, आठवें श्री महंत दास जी, नौवें श्री महंत इन्दिरेश चरण दास जी और दसवें श्री महंत देवेंद्र दास जी हैं।

लक्ष्मण पार्क और चौक बनवाया

सन क्89म् से क्9ब्भ् तक गद्दी नशीन रहे आठवें गुरु लक्ष्मण दास जी ने शिक्षा को बहुत महत्व दिया और अपने शिष्यों को बहुत पढ़ाया। इन्होंने एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना भी की। इन्होंने ने ही पूजा प्रक्रिया में परिवर्तन किया और उसे वर्तमान स्वरूप दिया। इन्होंने दून में काफी निर्माण करवाया। क्9क्0 में लक्ष्मण पार्क बनवाया। लक्ष्मण चौक की स्थापना की।

नौवें महंत ने की मिशन की स्थापना

श्री गुरु राम राय दरबार साहिब के नौवें ब्रह्मलीन श्री महंत इंदिरेश चरण दास जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। इलाहाबाद से बीए तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, इस दौरान जेल में भी रहे। साल क्9भ्ख् में उन्होंने श्री गुरु राम राय एजुकेशन मिशन की स्थापना की और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति का एक नया अध्याय लिखा। अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की आवश्यकता को देखते हुए उन्होंने क्9म्भ् में सबसे पहला अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खोला जोकि श्री दरबार साहिब के सामने है। इन स्कूलों में समाज के सभी वर्गो के लोग एक सामान रूप से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। पंजाब, वाराणसी, हरदोई, बांदा, दिल्ली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, रुड़की, मुरादाबाद, हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून में चौदह स्कूल सहित पहाड़ी एरिया में कई स्कूल आज भी संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग और बिजनेस कॉलेज भी संचालित किए जा रहे हैं।

Posted By: Inextlive