व्यक्ति की पहचान उसके माता-पिता दादा-दादी और पूर्वजों से जुड़ी होती है लेकिन क्या जल्द ही वो समय आने वाला है जब हम कहेंगे की हमारी दादी एक स्टेम कोशिका थी?

स्टेम कोशिकाओं से मानव अंग विकसित करने के प्रयोग तो होते रहे हैं लेकिन अब वैज्ञानिकों ने त्वचा से मिली स्टेम कोशिकाओं के ज़रिए नए जीवन की पैदाइश में सफलता पाई है.

स्टेम कोशिकाओं की खासियत है कि वो शरीर में किसी भी कोशिका का रुप ले सकती हैं. यही वजह है कि रक्त, हड्डियों, स्नायुतंत्र और त्वचा से कहीं से भी कोशिकाएं लेकर शरीर के उस हिस्से की कोशिकाओं को स्वस्थ किया जा सकता है जो बीमार हों.

जापान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस प्रयोग में कोशिकाओं का इस्तेमाल अंडाणु बनाने में किया गया जिनके ज़रिए बाद में चूहों का जन्म हुआ. ये चूहे भी अब माता-पिता बन गए हैं. कुल मिलाकर प्रयोग में शामिल हुए इन चूहों के वंश का मूल एक कोशिका है.

इससे पहले क्योटो विश्वविद्यालय में स्टेम कोशिकाओं से शुक्राणु बनाने के प्रयोग हुए थे. अब इससे एक कदम आगे वैज्ञानिकों ने प्रजनन के लिए स्टेम कोशिकाओं से अंडे बनाने में सफलता पाई है.

बड़ी सफलता

माना जा रहा है कि यह तकनीक अगर इंसानों पर लागू की जाए तो इससे उन दंपतियों को मदद मिल सकती है कि जिन्हें संतान का सुख नहीं मिल पा रहा है.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस सफलता से पहले कई बाधाएं दूर करनी होंगी.

इस प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने पहले त्वचा और भ्रूण से स्टेम कोशिकाएं लीं. इसके बाद इनके ज़रिए अंडाणु बनाने की प्रक्रिया शुरु की गई. इन अंडाणुओं को विकसित करने के लिए इनके आसपास गर्भाशय में मौजूद रहने वाली कोशिकाएं विकसत की गईं और फिर इन्हें एक मादा चूहे के शरीर में प्रत्यर्पित किया गया.

क्योटो विश्वविद्यालय के काटसुहिको हायाशी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ''इन कोशिकाओं ने स्वस्थ बच्चे पैदा किए. जल्द इन बच्चों के बच्चे पैदा होंगे.''

हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रयोग के इंसानों पर लागू करने से पहले कई तरह की एहतियात बरतनी होंगी. अगर वैज्ञानिक वाकई ऐसा करने में कामयाब रहते हैं तो पद्धति जीव-विज्ञान के इतिहास में बाइबल की तरह बन जाएगी.

 

 

Posted By: Bbc Hindi