नेशनल प्लेयर बनते-बनते आज यह खिलाड़ी भेड़-बकरियां चराने पर मजबूर
50 हजार मांगी गई घूस
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के रहने वाले रविन्द्र पाल की कहानी काफी अलग है। रविंद्र का सपना था कि वह भी मिल्खा सिंह की तरह देश का नाम रोशन करे। इस दिशा में उसने काफी प्रयास भी किया। रविंद्र ने प्रदेश के हर जिलों में दौड़ जीत कर यूपी का नाम रौशन किया। उसने कई दर्जन मेडल और कई ट्राफी जीतीं हैं। अब रविन्द्र की चाह थी वह नेशनल लेवल पर अपना हुनर दिखाए। जिसके लिए लखनऊ में उसने दो बार भाग लिया। लेकिन अंत में उससे 50 हजार की घुस मांगे जाने पर निराश होकर अपने घर वापस लौटना पड़ा।
भेड़-बकरियां चराने पर मजबूर
रविन्द्र पाल एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह 50 हजार दे सके। ऐसे में पैसों के आगे एक प्रतिभा फिर हार गई। रविंद्र का सपना अभी अधूरा ही रहा और अब वह अपने घर पर भेड़ और बकरी चराने को मजबूर है। घर की माली हालत को देखते हुए रविन्द्र अपने परिवार के साथ रहकर काम में हाथ बटाता है। रविन्द्र ने प्रदेश सरकार से गुजारिश की है कि बिना घुस के उसका चयन हो ताकि मिल्खा की तरह देश का नाम रौशन कर सके। वहीं रविन्द्र की मां को अभी भी उम्मीद है कि एक दिन उनका बेटा राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनेगा।