आगरा. डॉ. बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी तो हड़ताल और हंगामों की यूनिवर्सिटी बनकर रह गई है. इस कारण एजुकेशन एग्जाम और रिजल्ट आदि वर्क पटरी से उतरे हुए हैं. यहां काम तो कोई करना ही नहीं चाहता. थर्सडे को कर्मचारियों की हड़ताल से किसी भी आफिस में वर्क नहीं हुआ. यूनिवर्सिटी बंद रहने से स्टूडेंट्स भटकते रहे. कोई डिग्री लेने आया था तो कोई अपनी मार्कशीट निकलवाने.

इसलिए बंद रही यूनिवर्सिटी

थर्सडे को पूरी कंट्री की यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की हड़ताल थी। इससे डॉ बीआरए यूनिवर्सिटी में भी ताले लगे रहे। कर्मचारियों की मांग है कि उनका वेतन यूजीसी कर्मचारियों के समान किया जाए। अभी यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित वेतन मिलता है। हालांकि वे विवि अनुदान आयोग के निर्देश पर काम करते हैं. 

ऑफिस में जड़ा ताला 

क र्मचारियों ने यूनिवर्सिटी के मैन ऑफिस के चैनल पर ताला लगा दिया। नारेबाजी आदि के बाद वीसी को ज्ञापन भी सौंपा। मांग थी कि जब हम यूनिवर्सिटी आयोग की गाइडलाइन पर काम करते हैं, तो सैलरी भी वहीं से मिलनी चाहिए. 

हड़ताल-हंगामे बने परेशानी 

हड़ताल और हंगामे यूनिवर्सिटी के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। जब भी कोई हंगामा होता है तो यूनिवर्सिटी में हड़ताल हो जाती है। ऐसा ज्यादातर तब होता है, जब किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है। कर्मचारी पर एक्शन लेने के बाद कर्मचारी संगठन हड़ताल कर देता है और विवि को एक्शन वापस लेना पड़ता है. 

रजिस्ट्रार ऑफिस पर भीड़

स्टूडेंट्स को जैसे ही यूनिवर्सिटी बंद होने की जानकारी मिली, तो वे रजिस्ट्रार ऑफिस के बाहर खड़े हो गए।  हर कोई अपना काम कराने की जुगाड़ में लगा रहा, लेकिन रजिस्ट्रार के स्टॉफ ने भी काम करने से मना कर दिया. 

दिवांशु जैन, स्टूडेंट

मेरी बीकॉम की मार्कशीट नहीं आई है। आज एटा से मार्कशीट लेने आया था। यहां आकर पता चला कि यूनिवर्सिटी बंद है। अब दोबारा किराया खर्च करके आना पड़ेगा. 

पूरन सिंह, स्टूडेंट

मैं फिरोजाबाद से डिग्री लेने आया था। पिछले तीन दिनों से चक्कर काट रहा हूं। कल गांधी जयंती की छुट्टी थी और आज कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। बहुत परेशान हूं.

योगेंद्र कुमार 

जब यूनिवर्सिटी खुलती है, तब कौन सा काम समय पर हो जाता है। मैं अपनी बहन की मार्कशीट लेने आया था। आज जॉब से छुट्टी ली थी, लेकिन वो भी बेकार हो गई. 

Posted By: Inextlive