इसे कहते हैं कानून का हथौड़ा कानून के ही सिर पर पड़ना. ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि क्‍या होगा जब कानून को बनाने और उसे चलाने वालों को ही उसकी गिरफ्त में आना पड़ जाए. दरअसल खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सीके प्रसाद के खिलाफ मामला दर्ज करने की PIL को सिरे से खारिज कर दिया है.

क्या है जानकारी
बताते चलें कि पूर्व जज सीके प्रसाद के जज रहने के दौरान एक दीवानी याचिका के मामले में कथित तौर पर कुछ अनुचित आदेश दे देने पर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की अपील की गई थी. न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट की ओर से यह कहा गया है कि अगर इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई की गई, तो इससे आगे के लिए बेहद खतरनाक दरवाजे हमेशा के लिए खुल जाएंगे.
कुछ ऐसा रहा फैसला
पूर्व जज के खिलाफ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की ओर से दायर की गई याचिका को जज दीपक मिश्रा और जज प्रफुल्ल सी पंत ने खारिज कर दिया है. इसके जवाब में बेंच ने बताया है कि काफी विचार करने के बाद उनकी राय यह थी कि सुप्रीम कोर्ट का ललिता कुमारी मामले का आदेश मौजूदा केस पर किसी भी तरह से लागू नहीं होता है. ऐसे में कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर इस तरह की याचिकाओं पर कभी भी सुनवाई हो गई, तो परिणाम भविष्य में बेहद खतरनाक दरवाजे खुलने के रूप में सामने आएगा.
क्या कहना है बेंच का
उसके बाद होगा यह कि हर कोई अपने मामले पर अनचाहे फैसले के खिलाफ जज के खिलाफ जाने की ठान लेगा. ऐसे में बेंच का कहना है कि अगर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश अतार्किक हो भी, तो भी उस फैसले को इस तरह की चुनौती नहीं दी जा सकती है. वहीं इस पूरे मामले में वरिष्ठ वकील शांति भूषण अपने बेटे प्रशांत भूषण की ओर से अदालत में पेश हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से स्पष्ट मामला है. इस मामले में FIR दर्ज करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस याचिका को सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि वह सुप्रीम कोर्ट के जज रहे हैं.

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Posted By: Ruchi D Sharma