ब्रितानी सरकार एक नया प्रस्ताव ला सकती है जिसके तहत अनुसार हिंसक कार्रवाई का प्रशिक्षण ले चुके चरमपंथियों को आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी.


यह आजीवन करावास वर्तमान में लागू अधिकतम 14 वर्ष की सज़ा की जगह ले सकता है. ब्रिटेन में हथियार चलाने के प्रशिक्षण और विस्फ़ोटक रखने के लिए अधिकतम 14 वर्ष की सजा मिलती है.दैनिक दी डेली टेलीग्राफ़ के मुताबिक़ ब्रितानी मंत्री इस प्रावधान पर भी विचार कर रहे हैं कि दोबारा गंभीर चरमपंथी हमले का दोषी पाए जाने वाला व्यक्ति को अनिवार्यतः आजीवन कारावास की सजा मिले.यह नया कानून इंग्लैंड और वेल्स में लागू होगा.'सख़्त सज़ा'"हम एक बार फिर से उन सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं ताकि गंभीर चरमपंथी मामलों के दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा मिले."-ब्रितानी विधि मंत्रालय के प्रवक्ताटेलीग्राफ़ को एक सरकारी सूत्र ने बताया, "लोग चाहते हैं कि चरमपंथी गतिविधियों को अंजाम देने, या कोशिश करने वालों चरमपंथियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले."


उन्होंने बताया कि अधिकतम सज़ा को बढ़ाकर आजीवन कारावास में तब्दील किए जाने से अपराधी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, जबतक कि पैरोल देने वाले बोर्ड के जज उनको ख़तरा नहीं मानते.उन्होंने कहा, "अपराधियों के बाहर होने के बाद उन पर लगातार नज़र रखी जाएगी. अगर वो पैरोल के दौरान नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनको सीधे ज़ेल के भीतर वापस पहुंचा दिया जाएगा."

विधि मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, " हम एक बार फिर से उन सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं ताकि गंभीर चरमपंथी मामलों के दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा मिले."'चरमपंथी प्रशिक्षण का गढ़'ब्रिटेन में चरमपंथियों को सज़ा के प्रावधान कड़े किए जा रहे हैं.प्रवक्ता ने बताया, "विस्तृत योजना में उचित प्रावधानों को लागू किया जाएगा."पिछले साल सरकार ने कहा था कि विदेश जाने का प्रयास करने वाले संदिग्ध चरमंपथी ब्रितानी नागरिकों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जा सकते हैं.ब्रितानी गृहमंत्री थेरेसा मे ने सीरिया को नई पीढ़ी के ब्रितानी चरमपंथियों के प्रशिक्षण का गढ़ बताया है और सोमालिया और यमन जैसे देशों में चरमपंथी ट्रेनिंग लेने पर भी उन्होंने चिंता जताई है.नए प्रवाधानों के अनुसार अपराधियों को उसी स्थिति में जेल से छोड़ा जा सकेगा जब पैरोल बोर्ड के सदस्यों उन्हें भविष्य के लिए ख़तरा न मानते हों.स्कॉटलैण्ड और उत्तरी आयरलैण्ड में उनकी न्याय व्यवस्था के अनुसार अलग क़ानून लागू होंगे.

Posted By: Subhesh Sharma