लाभ के पद मामले में उलझे आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता जानी लगभग तय है। लंबे इंतजार के बाद चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से इन विधायकों की सदस्यता खत्म कर देने की अनुशंसा की है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलते ही आयोग उनकी सदस्यता खत्म कर देगा। चूंकि अनुशंसा राष्ट्रपति को भेजी गई है लिहाजा आयोग ने इस पर औपचारिक रूप से कुछ भी कहने से मना कर दिया है।


चुनाव आयोग ने शुरू की थी मामले की सुनवाईयह मामला मार्च 2015 का है। अरविंद केजरीवाल सरकार ने आप के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसे लाभ का पद बताते हुए राष्ट्रपति से इन विधायकों की सदस्यता रद करने की मांग की गई थी। राष्ट्रपति ने यह मामला चुनाव आयोग को भेज दिया था। आयोग ने मार्च 2016 में इन विधायकों को नोटिस भेजकर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। अम्मा कैंटीन की तर्ज पर अब दिल्ली में चलेंगी आम आदमी कैंटीनविधायकों के जवाब से चुनाव आयोग असंतुष्ट-चुनाव आयोग विधायकों के जवाब से संतुष्ट नहीं है। आयोग के मुताबिक दो वर्षों में कई बार विधायकों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया।
-दूसरी तरफ, आप का कहना है कि चुनाव आयोग में किसी विधायक की गवाही नहीं हुई है। फैसला पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है। -आगामी 14 फरवरी को आम आदमी पार्टी सरकार के तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा झटका है। आप की 'राजनीति', दुधमुंहे बच्चे दिखाएं बीमार

 

Posted By: Satyendra Kumar Singh