Jamshedpur: इंटरमीडिएट का एग्जाम खत्म हो चुका है. अब बारी है रिजल्ट की और उसके बाद ग्रेजुएशन में एडमिशन की. अगर आप अपने च्वाइस के सब्जेक्ट में एडमिशन लेने का मन बना चुके हैं तो जरा रुक जाइए.

 देख लीजिए कि उस सब्जेक्ट में पढ़ाई का क्या हाल है। एक तो यह कि उस सब्जेक्ट में पढ़ाई होती भी है या नहीं और दूसरा कि अगर होती है तो उसमें टीचर्स भी हैं कि नहीं। कहीं ऐसा न हो कि आपने जिस सब्जेक्ट में ऑनर्स करने के लिए एडमिशन लिया उसमें टीचर्स ही न हो। केयू का तो कुछ ऐसा ही हाल है।

जरा देखिए, इन subjects का हाल
सिटी स्थित कई कॉलेजेज हैं जहां कुछ सब्जेक्ट्स में टीचर्स की काफी कमी है। को-ऑपरेटिव कॉलेज में हिस्ट्री की पढ़ाई यूजी और पीजी में होती है पर इसमें सिर्फ 2 ही टीचर्स हैं। इसके अलावा पॉलिटिकल साइंस, बांगला की पढ़ाई भी यूजी और पीजी तक होती है पर इन सब्जेक्ट्स में भी 2-2 टीचर्स ही हैं। इसके अलावा यूजी तक पढ़ाई होने वाले उर्दू सब्जेक्ट में तो एक ही टीचर हैं। एबीएम कॉलेज में इंग्लिश में सिर्फ एक ही टीचर है। जबकि इस सब्जेक्ट की पढ़ाई ऑनर्स के अलावा दूसरे कोर्सेज में भी होती है। एबीएम कॉलेज में हिस्ट्री सब्जेक्ट में भी सिर्फ 2 ही टीचर्स हैं। ग्रेजुएट कॉलेज की बात करें तो वहां संस्कृत में सिर्फ एक ही टीचर हैं। रागिनी भूषण के संस्कृत पीजी हेड बनकर हेड ऑफिस जाने के बाद वहां सिर्फ एक ही टीचर बची हैं। एलबीएसएम कॉलेज में सायकोलॉजी में टीचर्स की काफी कमी है।

Student-teachers ratio का है बुरा हाल
अगर हम बात कोल्हान यूनिवर्सिटी की करें तो यहां स्टूडेंट्स की संख्या लगभग 78000 है। फिलहाल वर्किंग टीचर्स की संख्या है 384. यानी स्टूडेंट-टीचर का रेशियो होता है 203:1 का। वैसे केयू में टीचर्स के 750 सैंक्शन पोस्ट हैं। यानी यूनिवर्सिटी में अभी टीचर्स के 366 पोस्ट वैकेंट हैं। अगर केयू में सभी टीचर्स अपॉइंट हो भी जाएं तो स्टूडेंट-टीचर का रेशियो 104.1 होगा जो एक आइडल रेशियो से काफी पीछे है। स्टूडेंट-टीचर रेशियो की बात की जाए तो वल्र्ड वाइड यह रेशियो 15:1 का है जबकि इंडियन यूनिवर्सिटीज में एवरेज रेशियो 26:1 का है। झारखंड में स्थित 5 स्टेट यूनिवर्सिटीज, रांची यूनिवर्सिटी, कोल्हान यूनिवर्सिटी, सिद्धो कान्हो यूनिवर्सिटी, विनोबा भावे और निलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स की  संख्या 3 लाख से ज्यादा है जबकि टीचर्स की संख्या लगभग 2200 है। इस तरह से पूरे स्टेट में स्टूडेंट-टीचर का रेशियो 136:1 के लगभग है।

Appoinment तो हो नहीं रहे
केयू ही नहीं स्टेट के सभी यूनिवर्सिटीज में टीचर्स की काफी कमी है। लेकिन यूनिवर्सिटीज के इस परेशानी से टीचर्स अप्वांइट करने का जिम्मा संभाले झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन को ज्यादा मतलब नहीं। बिहार-झारखंड ज्वॉइंट रहते हुए 1996 में टीचर्स अप्वाइंट हुए थे। स्टेट अलग होने के बाद 2008 में टीचर्स का अप्वॉइंटमेंट हुआ जो कंट्रोवर्शियल भी रहा है। उसके बाद एक बार भी जेपीएससी ने इस तरफ मुडक़र नहीं देखा। केयू एडमिनिस्टे्रशन का कहना है कि वैकेंसीज की डिटेल्स जेपीएससी को भेजी जा चुकी है जबकि जेपीएससी मैन पावर कम होने और दूसरे कई कामों में इंवॉल्वमेंट की बात कर रहा।

'टीचर्स की इतनी कमी होने की वजह से पढ़ाई पर असर तो पड़ता ही है। एक या दो टीचर्स यूजी और पीजी के स्टूडेंट्स को कैसे पढ़ा सकते हैं। यूजी के सैंक्शन पोस्ट से ही पीजी का भी काम लिया जा रहा है। पीजी स्टार्ट होने के बाद उसके लिए अलग से पोस्ट सैंक्शन करना चाहिए था.'
- डॉ आरके दास, प्रिंसिपल को-ऑपरेटिव कॉलेज
'हमारे यहां सबसे ज्यादा प्रॉब्लम इंग्लिश में हो रही है। इस सब्जेक्ट में सिर्फ एक ही टीचर हैं। इंग्लिश की पढ़ाई ऑनर्स के अलावा लैंग्वेज के रूप में भी होती है। दूसरे सब्जेक्ट्स में भी टीचर्स की कमी तो है ही.'
- डॉ उषा शुक्ला, प्रिंसिपल एबीएम कॉलेज
'रोस्टर को लेकर कुछ मामला था। कोल्हान यूनिवर्सिटी से रोस्टर क्लियर करके भेजा गया है। वैसे भी एचआरडी से हरी झंडी मिलने के बाद ही तो हम एप्वाइंटमेंट का प्रोसेस स्टार्ट कर सकते हैं.'
- रतिकांत झा, सेक्रेट्री झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन

Report by: amit.choudhary@inext.co.in

Posted By: Inextlive