1993 के मुंबई धमाकों में दोषी पाए गए याक़़ूब मेमन के मामले की कई साल तक सुनवाई चली है। इस सुनवाई में कई उतार चढ़ाव आए। उन्हें बचाने के लिए उनके वकीलों ने आख़िरी दम तक कोशिश की। बुधवार को देर रात सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विशेष सुनवाई भी की।


सुनवाई में कब-कब क्या-क्या हुआ- 2007 में टाडा कोर्ट ने याक़ूब मेमन को मौत की सज़ा सुनाई थी।- 2013 में सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने याक़ूब की मौत की सज़ा बरक़रार रखी।- 2013 में ही याक़ूब मेमन ने रीव्यू पिटीशन दायर की थी, जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया।- 11 अप्रैल 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याक़ूब की दया याचिका ख़ारिज की।- अप्रैल 2015 में याक़ूब ने दूसरी रीव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर की, जिसे ठुकरा दिया गया।- टाडा कोर्ट ने अप्रैल 2015 में डेथ वारंट जारी करते हुए याक़ूब की फाँसी की तारीख़ 30 जुलाई तय की।- इसके बाद याक़ूब ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की, लेकिन 21 जुलाई 2015 को इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया।


- याक़ूब ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में डेथ वारंट की वैधता को चुनौती दी। साथ ही उस बेंच के गठन को भी चुनौती दी, जिसने क्यूरेटिव पिटीशन को ख़ारिज किया था।- जुलाई में हुई सुनवाई में दो सदस्यीय बेंच इस मामले में सर्वसम्मति से फ़ैसला नहीं कर पाई। फिर इसे तीन सदस्यीय बेंच के पास भेजा गया।- 29 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने याक़ूब की याचिका ख़ारिज की।

- 29 जुलाई 2015 की शाम को राष्ट्रपति ने याक़ूब की दूसरी दया याचिका ख़ारिज की।- याक़ूब के वकीलों, कुछ चर्चित वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चीफ़ जस्टिस के सामने याक़ूब की फाँसी 14 दिन टालने की याचिका दायर की।- 30 जुलाई 2015 की सुबह सुप्रीम कोर्ट में चली विशेष सुनवाई में कोर्ट ने याक़ूब मेमन की फाँसी को बरक़रार रखा।- 30 जुलाई 2015 की सुबह नागपुर सेंट्रल जेल में याक़ूब को फाँसी दे दी गई।

Posted By: Satyendra Kumar Singh