आज शिवालयों में सावन के पहले सोमवार से ही शिव आराधना का दौर शुरू हो गया । जो पूरे महीने भर चलेगा। चारों ओर बम बम भोले का शोर गूंज सुनाई दे रही है और सुबह से ही शिव मंदिरों के बाहर भक्तों की लंबी कतारे नजर आ रही हैं।


पूरे महीने चलेगी भोले की भक्ति


वैसे तो बीते शनिवार से शिवशंकर और माता पावर्ती की अर्चना का सिलसिला शनिवार को सावन माह के शुरू होते ही प्रारम्भ हो गया था। पर आज सावन का पहला सोमवार है और सोमवार की अर्चना का श्रावण मास में बड़ा महत्व होता है। इसके चलते आज मंदिरों के सामने भक्तजनों की प्रात: काल से भी लंबी कतारे लगनी शुरू हो गयी हैं और हर कोई शिव भक्ति में मगन भोले के नाम की माला जप रहा है। इस दौर शिव मंदिरों में भवगान भोलानाथ का पूजन,अभिषेक किए जाने के साथ ही विशेष अनुष्ठान भी संपन्न होंगे। वहीं कई लोग सावन सोमवार का व्रत भी रखते हैं। इस तरह पूरे माह शिव की भक्ति और आराधना कर दौर चलेगा और शिव की भक्ति में श्रद्वालु डूबे रहेंगे। शहर में कई शिव मंदिर ऐसे हैं। जहां सावन माह में श्रद्वालुओं का तांता लगा रहता है। भक्तों की उमड़ी भीड़

सावन के पहले सोमवार को भोले के भक्तों  की भरी भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है। इसके चलते भगवान शिव का जलाभिषेक कड़ी सुरक्षा के बीच होगा। जगह-जगह पुलिस का घेरा कड़ा किया गया है। सादी वर्दी में पुलिस कर्मी व खुफिया विभाग हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। हर मंदिर पर भी अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ाई गई। रविवार से लगा दर्शनार्थियों का तांता इससे पहले भगवान शिव की अनुकंपा पाने के लिए शिवालयों में रविवार को ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। भगवान आशुतोष का अभिषेक कर मंगलकामनाएं की गयीं। वहीं सावन के पहले सोमवार को लेकर मंदिरों में विशेष साज-सज्जा के साथ जल, लोटे व बेरीकेडिंग की भी व्यवस्था की गयी। सृष्टि के संहारक, त्रिनेत्रधारी, भगवान भोलेनाथ की भक्ति को समर्पित श्रावण सावन माह शुरू हो चुका है। शिवालयों में श्रद्धालुओं की कतारें लगने लगी हैं। मंदिर समितियों की ओर से भी काफी तैयारियां की जा रही हैं सभी शिवालयों में विशेष सज्जा हुई। धर्म गुरुओं का कहना है कि सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का माह माना जाता है। हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद निकले विष को भगवान शिव ने कंठ में धारण कर सृष्टि को बचाया था। हरिद्वार में हर की पैड़ी पर समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव ने विषपान किया और वहीं से नीलकंठ पर जाकर मूर्छित हुए थे। तभी से सावन मास में भगवान आशुतोष का रुद्राभिषेक करने की परंपरा प्रबल हो उठी। यद्यपि हर युग में शिव स्तुति और अभिषेक किया जाता रहा है। 

अयोध्या में भी विशेष व्यवस्था
सावन के पहले सोमवार के एक दिन पूर्व से ही अयोध्या में सुरक्षा-व्यवस्था सख्त कर दी गई थी। रविवार की दोपहर तक आपेक्षाकृत कावड़ियों की अयोध्या आमद काफी कम रही लेकिन दिन ढलने के साथ ही इनकी संख्या में इजाफा होना शुरू हो गया है। सुरक्षा के लिहाज से अयोध्या के प्रमुख शिव मंदिर नागेश्वरनाथ के दर्शन श्रद्धालु 12 बैरियर पार करने के बाद कर पाएंगे। इसी के साथ हनुमानगढ़ी और कनक भवन की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों पर श्रद्धालुओं की होने वाली भारी भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रमुख चार शिवालयों पर साढ़े चार सौ से अधिक पुलिस व पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं। इसके जिले की सारी सीमाएं सील कर दी गई है, ताकि दूसरे जिलों से डीजे न घुसने पाएं। सावन में जलाभिषेक के लिए सबसे अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ घुइसरनाथ धाम (सांगीपुर), हौदेश्वरनाथ धाम (कुंडा), बेलखरनाथ धाम (पट्टी), भयहरणनाथ धाम (जेठवारा) में होती है। इन शिवालयों पर श्रद्धालुओं के साथ ही कावरिए जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। सावन के पहले सोमवार को होने वाली भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

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Posted By: Molly Seth