जब भी दुनिया में महिलाओं पर अत्‍याचार हुए वे किसी न किसी रूप में उन अत्‍याचारों के विरोध के लिए आगे आई हैं। उन्‍होंने खुद पर हो रहे अत्‍याचारों को कम करने व समाज में फैली असमानता के लिए एक जुट होकर विरोध के सुर तेज किए हैं। महिलाओं के ऐसे कदम किसी एक देश या शहर में नहीं बल्‍कि दुनिया के कई देशों में देखने मिले हैं वह भी उस दौर में जब दुनिया काफी पीछे समझी जाती थी। ऐसे में आइए आज आने महिलाओं की ओर से उठाए गए उन 10 कदमों के बारे में जिनहोंने दुनिया बदल दी...


ब्लैक फ्राइडे 18 नवंबर 1910:आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज ब्लैक फ्राइडे 18 नवंबर 1910 अपनी एक अलग कहानी बयां करता है। इस दिन महिलाओं के लिए आगे आने वाली वूमेन एक्टिविस्ट ने महिलाओं के हकों के लिए आवाज उठाई थी। इस दिन हर्बर्ट Asquith में उन्होंने महिलाओं के मताधिकार की मांग की। प्रधानमंत्री खिलाफ मार्च निकालकर पुरुषों की हिंसा का विरोध किया। इस दिन वहां पर घरों से काफी संख्या में महिलाएं निकल पड़ी थी। इस मोर्चे में महिलाओं को पीटा गया और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। ऐसे में उनकी ओर से उठाए गए इस कदम को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सक्रियता के इस पर मंथन किया गया। इसके बाद 1918 में सीमित शर्तों के साथ महिलाओं को मतदान का पूरा अधिकार प्राप्त हुआ।मंगलोर इंडिया फरवरी 2009:
यहां पर वेलेंटाइन डे पर समाज की ओर से लगाई जाने वाली बंदिशों का खुलेआम विरोध हुआ। यहां पर खुद को समाज का ठेकेदार समझने वाले लोग वैलेंटाइन डे पर लोगों को लात मारते थे। कई बार वह कपल को बेहद दर्दनाक सजा देने से भी नहीं चूकते थे। ऐसे में महिलाओं ने वहां पर इसके खिलाफ आवाज उठाई और 2009 की फरवरी में करामात दिखाई। वहां पर पिंक चड्ढी अभिचान चलाया और महिलाए दरिंदों के खिलाफ एक जुट हो गईं। इतना ही नहीं इन्होंने ढ़िवादी समूह श्री राम सेना जैसे कई समूहों को इस दिन फूल आदि भेजे। आज यह समूह करीब 30 हजार महिलाओं का हो गया।कंपाला, युगांडा, फ़रवरी 2014:युगांडा की सरकार ने मिनी स्कर्ट को प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस नए कानून में मिनी स्कर्ट को 'अश्लील' की श्रेणी में रखा गया था।  सरकार के इस कदम से युगांडा की प्रगतिशील विचारों वाली महिलाओं में काफी नाराजगी है। वे इसके विरोध में सड़क पर उतर आई हैं। उनका कहना था कि उनके कपड़ो से नहीं बल्कि पुरुषों की गंदे कारनामों से समाज गंदा हो रहा है। उकना कहना था कि उनका शरीर, उनके कपड़े, उनके पैसे वे जैसे चाहे वैसे जिंदगी जी सकती हैं। इसके बाद उनका विरोध बढ़ गया। लीमा, पेरू, 7 मार्च 2014:


पेरू में 7 मार्च 2014 को महिलाएं लाल रंगे कपड़े पहनकर सरकार के विरोध में उतर आई थीं। इस दौरान महिलाएं मंत्रालय के बाहर फुटपाथ पर लेट गई। वे अन्याय के खिलाफ अब खुलकर विरोध कर रही थीं। उनका कहना था कि सरकार की ओर से महिलाओं के अधिकारों को कुचलती जा रही है। ऐसे में उन्होंने इस प्रदर्शन से इशारा किया कि उनका ये उनके शरीर नहीं बल्कि उनके शव पड़ें हैं। इसके बाद ही महिलाओं के अधिकारों के लिए वहां पर सरकार जागरूक हुई।बीजिंग, चीन, मार्च 2015: चीन के बीजिंग में हाल ही महिलाओं ने जमकर विरोध किया। इतना ही नहीं महिलाओं ने वहां 'फ्री चीनी नारीवादियों'के नाम से फेसबुक पेज भी बनाया है। इसमें वहां पर महिलाओं ने पांच "गुरिल्ला आतंकवादियों" समूह के खिलाफ अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर आवाज उठाई। यह समूह वहां पर अत्याचार बढाता जा रहा है। जिससे वहां पर हिंसा, यौन शोषण आदि से से भयभीत रहती हैं। ऐसे में महिलाओं ने वहां पर शादी के सफेद कपड़े खून से रंगे हुए पहने और इन अत्याचारो के खिलाफ आवाज उठाई। इतना ही नहीं उन्होंने अपने मौलिक मानवाधिकारों के अलावा कॉर्पोरेट क्षेत्र में अपनी भागीदारी की मांग की।

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Posted By: Shweta Mishra