ताजमहल को लेकर तमाम विवादों के बीच कई ऐसी बातें भी हैं जिनको हम जान लें तो शायद इन विवादों को हवा मिलनी बंद हो जायेगी। कम ही लोग जानते हैं कि इस एतिहासिक इमारत के बारे में बताये जा रहे कुछ तथ्य तो बिलकुल आधारहीन हैं। आइये जाने ताजमहल से जुड़े कुछ अनजाने तथ्य जो हमें बतायेंगे ताजमहल का सच।

 

मुमताज महल और शाहजहां का प्यार
अक्सर कहा जाता है कि ताजमहल प्यार की निशानी नहीं है क्योंकि मुमताज महल शाहजहां की तीसरी बीबी थीं जो उनके 14वें बच्चे को जन्म देने के बाद स्वर्गवासी हो गई। इसके बावजूद ये सच है कि शाहजहां, मुमताज से बेहद मुहब्बत करता था और उसके गम में वो एकदम टूट गया था। बताते हैं कि अपनी प्रिय पत्नी के जाने का उसे इतना अफसोस था कि उसकी मौत के चंद महीनों बाद ही उसके दाढ़ी और सर के बाल सफेद हाने लगे और वो बूढ़ा दिखने लगा। 

 

हजारों लोगों को मिला काम
इस विश्व प्रसिद्ध इमारत का डिजाइन अहमद लाहौरी ने तैयार किया था और बनाने में हजारों मजदूरों को योगदान था। मजदूर, पत्थरतराश, चित्रकार और कैलीग्राफर सहित 20,000 लोगों ने इसके निर्माण के लिए दिनरात काम किया था। इसके अलावा विश्व भर से निर्माण सामग्री मंगवाने और ढुलाई के लिए करीब 1000 हाथियों को भी काम पर लगाया गया था।

पत्थरों पर उकेरे गए वाक्य और खुदा के नाम
ताजमहल के अंदर बाहर कई पवित्र वाक्यों और कविताओं को दीवारों और खंभों पर उकेरा गया है। इसके मुख्य गुंबद पर अल्लाह के 99 वें नामों की कैलीग्राफी की गई है, क्योंकि शाहजहां चाहता था कि उसकी चहीती बेगम मौत के बाद खुदा की पाक पनाह में रहे।

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प्यार की तरह रंग बदलता है ताज
बहुत कम लोग जानते हैं कि प्यार की तरह ताजमहल भी दिन में कई रंग बदलता है। सुबह तड़के इसका रंग प्यार की मासूमियत की तरह हल्का गुलाबी होता है तो दिन में ये उसकी पवित्रता की तरह एकदम सफेद जबकि रात को चांद की रोशनी में सोने की तरह निखरा हुआ पीला हो जाता है। इसीलिए शरद पूर्णिमा की पूरे चांद की रात में ताज का दीदार बेहद खास होता है।

ये ताज से जुड़े झूठ
इस बारे में बहुत चर्चा है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण के बाद इसे बनाने वाले कारीगरों के हाथ या अंगूठे कटवा दिये थे, ताकि वो ऐसी कोई दूसरी इमारत ना बना सकें। इतिहास के अनुसार वास्तव में ऐसी किसी घटना का कोई प्रमाण नहीं मिलता और ये बात एकदम गलत है। इसीतरह कहा जाता है शाहजहां एक काला ताजमहल बनवाना चाहता है ये बाद भी ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित नहीं होती।

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Posted By: Molly Seth