आपराधिक घटनाओं से जुड़ी झारखंड पुलिस के मासिक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से जुलाई तक सात महीने में राज्य के सभी जिलों में कथित बलात्कार के 818 मामले दर्ज किए गए हैं.


इन आँकड़ों से इस बात का अंदाजा लगया जा सकता है कि झारखंड में बलात्कार की कथित घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. पिछले साल (2012) इन सात महीनों में 460 मामले दर्ज हुए थे.रिपोर्ट के मुताबिक सुदूर इलाकों में आदिवासी लड़कियां कथित सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं. कई जगहों पर स्कूली छात्राओं के साथ कथित सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ सामने आई हैं.बलात्कार के बढ़ते आँकड़ों पर झारखंड पुलिस के एडीजी एस एन प्रधान (विधि व्यवस्था) का कहना है, "आँकड़ों में वृद्धि हुई है लेकिन एक बदलाव भी आया है. अब दुष्कर्म की शिकार पीड़िता या उनके घर वाले मामले जरूर दर्ज करा रहे हैं. पहले कई मामले बताए नहीं जाते थे. रिपोर्टिंग बढ़ी है तो पुलिस तत्काल कार्रवाई भी करती है. अधिकतर मामलों में पुलिस कथित आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी भी कर रही है."


इधर राज्य के आदिवासी कल्याण सचिव राजीव अरुण एक्का ने रामगढ़ जिले के घाटो ओपी क्षेत्र में बिरहोर आदिम जनजाति की युवती के साथ कथित दुष्कर्म के मामले में जिला कल्याण पदाधिकारी से रिपोर्ट तलब की है.सचिव के मुताबिक अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण योजना के तहत कथित दुष्कर्म की शिकार पीड़िता की सहायता की जाएगी.

उन्होंने बताया कि लिट्टीपाड़ा में पहाड़िया आदिम जनजाति की चार स्कूली लड़कियों के साथ हुई कथित बलात्कार की घटना में 60-60 हजार रुपए की सहायता भेजी गई है. दूसरी किश्त में और 60-60 हजार रुपए दिए जाएंगे.कैसे बढ़ रहा है ग्राफआयोग ने राज्य के डीजीपी राजीव कुमार को एक पत्र भेजकर इस मामले में ठोस कार्रवाई करने के सुझाव भी दिए थे.उधर झारखंड की महिला कल्याण मंत्री अन्नपूर्णा देवी का कहना है, "बलात्कार और महिला अत्याचार के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं. जल्द ही पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों के साथ बैठक कर संवेदनशील मामलों में जल्दी सुनवाई और सजा तय कराने के लिये आवश्यक कदम उठा जाएंगे. इसके लिए विशेष टास्क फोर्स के गठन पर भी विचार किया जा रहा है."महिला कार्यकर्ता सरोजिनी बिष्ट पुलिस अफसरों के पक्ष से इत्तेफाक नहीं रखतीं. वे कहती हैं, "पुलिसिया कार्रवाई की नाकामी की वजह से घटनाओं में वृद्धि हो रही है. कई मामलों में कथित अभियुक्त महीने-साल भर में ही छूट जाते हैं. दिल्ली की घटना के बाद क़ानून को सख्त करने की कोशिश जरूर हुई लेकिन उसका खौफ नहीं दिखता. महिला संगठन बढ़ती घटनाओं का लगातार विरोध कर रहे हैं."

झारखंड में बढ़ती घटनाओं के बारे में रांची इंस्टीच्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्रिक्स एंड एलायड साइंस (रिनपास) के मनोवैज्ञानिक डॉक्टर के एस सिंगरका कहते हैं, "पर्सनैलिटी डिफेक्शन के मामले बढ़े हैं. मूल्यों में गिरावट आ रही है. इस तरह की खबरें भी लगातार सुर्खियां बन रही हैं. लिहाजा साइकोपैथिक पर्सनैलिटी से ग्रसित लोग बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देने में सुखद महसूस करते हैं. यही वजह है कि पकड़े जाने के बाद भी उन्हें पछतावा नहीं होता."

Posted By: Satyendra Kumar Singh