- प्रदेश सरकार के ज्यादातर विभाग बकायेदार, केवल पांच विभागों पर लगभग 2052 करोड़ बकाया

- विभागों से हो वसूली तो पब्लिक को मिल सकती है सस्ती बिजली

LUCKNOW: प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी का सबसे बड़े कारणों में सरकारी विभागों का बकाया भी है। पावर कॉरपोरेशन के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में सरकारी विभागों पर पावर कॉरपोरेशन का लगभग 8 हजार करोड़ का बिजली बिल का बकाया है। जबकि कंज्यूमर्स पर 24 हजार करोड़ से अधिक का बिजली बिल बकाया है। अगर यह राशि वसूल ली जाए, तो प्रदेश की जनता को काफी राहत मिल सकती है और पावर कॉरपोरेशन का इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुधर सकता है।

और भी अधिक है बकाया राशि

बिजली दरों की बढ़ोत्तरी के लिए पावर कॉरपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में जो वसूली योग्य बकाया की जानकारी सौंपी थी, उसमें 100 से ज्यादा सरकारी विभागों के बिजली बिल बकाए की जानकारी दी गई है। बकाए की लिस्ट के अनुसार, कुल 23 हजार 890 करोड़ का बकाया है। इस बकाए में सरकारी और प्राइवेट सभी प्रकार के कंज्यूमर हैं। जबकि यह बकाया सिर्फ फरवरी 2015 तक का है। जबकि उसके बाद का जोड़ लें तो यह राशि कहीं अधिक होगी। अधिकारियों के मुताबिक इसमें लगभग 8 हजार करोड़ का बकाया सरकारी विभागों पर है। जबकि सबसे बड़ा बकाया पांच प्रमुख सरकारी विभागों का है, जिनका भुगतान केंद्रीय स्तर पर होता है। अकेले इन्हीं का 2052 करोड़ का बिजली बिल बकाया है।

तो कम हो सकती थी दरें

विद्युत नियामक आयोग ने घरेलू शहरी और अनमीटर्ड ग्रामीण व बीपीएल कंज्यूमर्स की बिजली दरें बढ़ाई हैं। अगर कॉरपोरेशन अपने बकाया वसूली पर ध्यान दे तो यह दरें बढ़ानी न पड़ती। पावर कॉरपोरेशन ने पिछले चार सालों में बड़े पैमाने पर बिजली दरों में इजाफा कराया है, लेकिन जो राजस्व पावर कॉरपोरेशन को वसूलना था, वह नहीं कर पाई। जिसके कारण ही लगातार बिजली दरों में बढ़ोत्तरी हो रही है।

नहीं खरीदनी पड़ेगी महंगी बिजली

खुद पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी मानते हैं कि अगर यह बकाया वसूली हो जाए तो वह आसानी से पावर एक्सचेंज सहित अन्य ट्रेडिंग कंपनियों से सस्ती बिजली खरीदी जा सकती है। साथ ही यूपी में बजाज, रिलायंस जैसे निजी घरानों से महंगी बिजली खरीद पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। लाइन हानियों को कम करने के लिये अच्छा प्लान बना सकती हैं। उ.प्र। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन की ओर से डिस्काम वाइज सौंपी गई लिस्ट में सैकड़ों सरकारी विभागों का बिल बकाया है। आयोग को उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल पुनर्विचार जनहित प्रत्यावेदन पर अविलम्ब कार्यवाही करनी चाहिए।

विभाग बकाया (करोड़ में)

सिंचाई विभाग 710.56 करोड़

स्थानीय निकाय 90.54 करोड़

जल संस्थान 926.25 करोड़

जल निगम 307.61 करोड़

नदी प्रदूषण 17.95 करोड़

कुल 2052.91 करोड़

Posted By: Inextlive