दो और मंत्री प्रधानमंत्री की श्रीलंका यात्रा के ख़िलाफ़
सोमवार को दो केंद्रीय मंत्रियों ने भी कहा कि तमिलों के प्रति कथित अत्याचार के विरोध में प्रधानमंत्री को श्रीलंका नहीं जाना चाहिए. तमिलनाडु विधान सभा ने भी एक प्रस्ताव पास कर कहा है कि प्रधानमंत्री चोगम की बैठक में शामिल होने के लिए श्रीलंका न जाएं.प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणसामी और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने भी केंद्रीय मंत्री जी के वासन के सुर में सुर मिलाते हुए खुलकर प्रधानमंत्री की यात्रा का विरोध किया.समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार नारायणसामी ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री को अपने विचारों से अवगत करा दिया है कि उन्हें श्रीलंका नहीं जाना चाहिए."पुडुचेरी, जहां काफ़ी तादाद में तमिल आबादी है, के सांसद ने कहा कि तमिलनाडु के ज़्यादातर कांग्रेस मंत्री और सांसद नहीं चाहते कि श्रीलंका में इसी महीने होने वाली चोगम की बैठक में प्रधानमंत्री शरीक हों.
"मुझे उम्मीद है कि श्रीलंका में तमिलों पर अत्याचार और तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री एक सही फ़ैसला लेंगे"-जयंती नटराजनउन्होंने कहा, "कुछ मंत्री प्रधानमंत्री से मिले हैं और उनसे आग्रह किया है कि वह इस बैठक में शामिल न हों."यात्रा के पक्ष में
जयंती नटराजन ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए चेन्नई में कहा कि वह प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर उनसे राष्ट्रमंडल बैठक में न जाने का आग्रह करेंगी.उन्होंने रिपोर्टरों से कहा, "मुझे उम्मीद है कि श्रीलंका में तमिलों पर अत्याचार और तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री एक सही फ़ैसला लेंगे."लेकिन तमिलनाडु के ही एक अन्य कांग्रेस नेता और वाणिज्य राज्यमंत्री एस नट्चियप्पन दूसरी दिशा में चल रहे हैं. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को श्रीलंकाई तमिलों की भलाई के लिए इस बैठक में शामिल होना चाहिए.नट्चियप्पन कहते हैं, "उन्हें (प्रधानमंत्री को) कोलंबो जाने से पहले जाफ़ना और अन्य तमिल बहुल क्षेत्रों में जाना चाहिए. संभवतः श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्रों की चुनी हुई सरकार की यही मांग है."इससे पहले तिरुपुर और उडगमंडलम के पास ट्रेनों और बसों को रोकने की कोशिश में तमिल समर्थक संगठनों के क़रीब 45 सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया. वे मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री चोगम की बैठक में शामिल होने न जाएं.मांग